Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सह वरीय कांग्रेस नेता अशोक कुमार सिंह ने शनिवार 17 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे से मिलकर झारखंड में डीजल, पेट्रोल पर वैट कम करने की मांग की है. उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष को याद दिलाया है कि 2019 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में यह मुख्य मुद्दा था. झारखंड में सरकार बनने के बाद लगातार अनुरोध के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया. नतीजा यह है कि राज्य का राजस्व घट रहा है और जनता महंगे, पेट्रोल डीजल खरीद रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में महंगाई पर भी इसका सीधा असर पड़ा है.
पत्र में उन्होंने कहा है कि 22% वैट की दर तत्कालीन रघुवर सरकार ने 24 फरवरी 2015 को लागू की थी. लेकिन झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अनुरोध पर 2018 में प्रति लीटर 2.5 रुपए का रिबेट देने का एलान किया गया. इससे लोगों को काफी राहत मिली थी. परंतु झारखंड की हेमंत सरकार ने कार्यभार संभालते ही रिबेट को वापस ले लिया. यह आदेश कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र के खिलाफ था. एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री, झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, तत्कालीन इंचार्ज आरपीएन सिंह, अविनाश पांडे सहित अन्य नेताओं को भी चुनाव के समय के वादे को याद कराया. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ सरकार ने वैट में कमी की है लेकिन झारखंड सरकार ने कोई कमी नहीं की. पत्र में झारखंड एवं अगल-बगल के प्रदेशों में वैट की दर का भी जिक्र किया गया है. लिखा गया है कि झारखंड में बिक्री मूल्य पर 22% या 12.50 रुपए प्रति लीटर (जो अधिक हो) के अतिरिक्त ₹1 प्रति लीटर सेस से निर्धारित है जबकि बिहार में 16.37% या 12.33 रुपया प्रति लीटर (जो अधिक हो) दर लागू है. उत्तर प्रदेश में यह दर 17.8% या ₹10 . 41 प्रति लीटर (जो अधिक हो) लागू है. इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में 17% या 7.70 रुपये (जो अधिक हो ) लागू है.
उन्होंने कहा है कि बगल के प्रदेशों में वैट की दर कम होने से झारखंड के राजस्व में लगातार कमी हो रही है. पश्चिम बंगाल में तो दर सबसे कम है, झारखंड से सटे होने के कारण यहां के लोग बंगाल से पेट्रोल, डीजल खरीद रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से इस मुद्दे पर अविलंब ध्यान देने की मांग की है. एसोसिएशन का दावा है कि वैट कम कर देने से बिक्री इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि वर्तमान के राजस्व से अधिक आमदनी राज्य सरकार को होने लगेगी.
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