Dhanbad : धनबाद शहर में गरीब, बेबस और लाचार लोगों के लिए बने आश्रय गृह का फायदा सम्पन्न लोग उठा रहे हैं. जबकि लाचार लोग कड़ाके की ठंड में सड़क किनारे, रेलवे स्टेशन और बस डिपो में रात गुजारने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं देख-रेख के अभाव में आश्रय गृह जर्जर होते जा रहे हैं. गोल्फ ग्राउंड स्थित आश्रय गृह में कुल 28 कमरे हैं. यह महिलाओं के लिए आरक्षित है. एक कमरे में दो बेड लगे हुए हैं. लेकिन इसमें एक भी शोषित, पीड़ित और लाचार महिला नहीं रहती है. जिस एसएचजी ग्रुप को इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी दी गई है, उसने इसे हॉस्टल का रूप दे रखा है. इसमें अच्छे घरों की पढ़ने-लिखने वाली युवतियां रहती हैं. इस संबंध में आश्रय गृह की केयर टेकर ने बताया कि महिलाओं के रहने के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है. कोई भी महिला प्रतिदिन 25 रुपया देकर रह सकती है. हां यह सच है कि यहां स्थाई या लंबे समय तक रहने की व्यवस्था नहीं है. लेकिन समूह की ओर से कुछ छूट दी जाती है.
स्थाई रूप से किसी को नहीं रखा जाता : सुमित तिग्गा
गोल्फ ग्राउंड स्थित आश्रय गृह के केयर टेकर ने बताया कि सभी कमरे हमलोगों के अंडर में नहीं हैं. चार कमरों में निगम का सामान पड़ा है. वाटर कूलर और इंवर्टर भी खराब है. बिजली रहने पर लाइट जलती है. सप्लाई वाटर की यहां व्यवस्था है. यही हाल शहर के एसएनएमएमसीएच और बच्चा जेल के पास बने आश्रय गृह का भी है. इस संबंध में नगर निगम के सीएमएम सुमित तिग्गा ने बताया कि आश्रय गृह में स्थाई रूप से किसी को नहीं रखा जाता है. रही बात सड़क या रेलवे स्टेशन पर रात गुजारने वालों की, तो उन्हें कई बार उठाकर आश्रय गृह लाया जाता है, लेकिन मौका मिलते ही वे भाग जाते हैं. जो लोग सक्षम होते हैं उन्हीं से शुल्क लिया जाता है.
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