Baghamara : धनबाद (Dhanbad) जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों की हालत बेहद खराब है. कई स्कूल महज एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं. जिले के बाघमारा प्रखंड के राजकीयकृत आदिवासी प्राथमिक विद्यालय बागदाहा में संसाधनों का घोर अभाव है. स्कूल में कक्षा एक से 5वीं तक की पढ़ाई होती है. कुल नामांकित 90 बच्चों का भविष्य महज एक शिक्षक के भरोसे है. जरूरी कार्य ये यदि शिक्षक छुट्टी पर चले जाते हैं, तो स्कूल को बंद करना पड़ता है. स्कूल में बच्चों के बैठने की भी पर्याप्त जगह नहीं. कक्षा 1 और 2 के बच्चे एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई करते हैं. जबकि दूसरे कमरे में कक्षा 3, 4 और 5वीं तक के बच्चों को बैठाया जाता है.
कक्षा 5वीं के छात्र शुभ्रांशु कुमार ने बताया कि कोरोना के बाद से स्कूल में महज एक शिक्षक तैनात हैं. बच्चों की पढ़ाई, मध्याह्न भोजन से लेकर स्कूल की व्यवस्था संभालने का काम उन्हीं पर निर्भर है. इससे पढ़ाई बाधित होती है. शिक्षक के अभाव में उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है. कक्षा 2 की छात्रा भूमि कुमारी ने कहा कि एक शिक्षक के भरोसे स्कूल है. व्यवस्था से लेकर पढ़ाई काम उन्हीं के जिम्मे है. बेहतर पढ़ाई के लिए और शिक्षकों की जरूरत है. कक्षा 5वीं के छात्र साहिल मुर्मू ने बताया कि यह आदिवासी स्कूल है. इसमें पढ़ने वाले बच्चे आदिवासी भाषा तो बोल लेते हैं, लेकिन जगह व शिक्षक की कमी के चलते पढ़ाई-लिखाई मे बहुत दिक्कत हो रही है.
स्कूल में कम से कम दो शिक्षक जरूरी : प्राचार्य
इस संबंध में पूछे जाने पर प्राचार्य पंकज कुमार झा ने बताया कि पूरे स्कूल की जिम्मेवारी अकेले निभा रहे हैं. ऐसे में अगर मीटिंग व स्कूल के जरूरी काम से बाहर जाना हुआ, तो पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो जाती है. एमडीएम का चावल व बच्चों के लिए पुस्तक लेने जाना हुआ, तो बच्चों की देखरेख के लिए किसी बाहर के टीचर को बुलाना पड़ता है. यदि तबीयत खराब हो गई, तो स्कूल बंद करना पड़ जाता है. ऐसे में सरकार को ध्यान देना चाहिए कि बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होने पाए. स्कूल में कम से कम दो शिक्षकों का होना जरूरी है. इस संबंध में जिला प्रशासन के जिम्मेदारों से कई बार बात की गई, लेकिन स्थिति जस की तस है.
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