शिक्षिका ने प्राचार्या पर लगाया प्रताड़ित करने का आरोप, पुलिस के साथ पहुंची यूनिवर्सिटी की टीम
Dhanbad : एसएसएलएनटी महिला कॉलेज में शनिवार 5 अगस्त को उस समय अफरा तफरी मच गई जब इतिहास विभाग की महिला अतिथि शिक्षिका प्रो.वीणा शर्मा ने आत्महत्या का प्रयास किया. शिक्षिका ने इतिहास विभाग के कमरे में पंखे के सहारे लटक कर जान देने का प्रयास किया. हालांकि कॉलेज कर्मियों ने कमरे का दरवाजा तोड़ कर शिक्षिका को नीचे उतारा. इसके बाद आनन फानन में इलाज के लिए अस्पताल ले गए. हालांकि पूरे मामले पर कॉलेज में खामोशी छाई हुई है. कोई भी कुछ कहने से बच रहा है. बता दें कि शिक्षिका पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो.एसके शर्मा की पत्नी है.
विश्वविद्यालय की टीम पुलिस के साथ पहुंची कॉलेज
मामले की गंभीरता को देखते हुए बीबीएमकेयू की टीम कॉलेज पहुंची. टीम में डीएसडब्ल्यू डॉ.एसके सिन्हा, सीसीडीसी डॉ.एके मांझी, डेवलपमेंट ऑफिसर प्रोफेसर आरपी सिंह और फाइनेंस ऑफिसर डॉ.मुनमुन शरण शामिल है. धनबाद सदर थाना प्रभारी संतोष गुप्ता दल बल के साथ कॉलेज पहुंचे और पीड़ित शिक्षिका के साथ-साथ कॉलेज प्रशासन से पूरे मामले का ब्योरा लिया.
बोली शिक्षिका, लगातार की जा रही थी प्रताड़ना
पीड़ित शिक्षिका प्रो.वीणा शर्मा ने कहा कि उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था. जिसके कारण वो मानसिक रूप से परेशान हो गई थी. लगातार प्रताड़ित किए जाने के कारण ही उन्होंने यह कदम उठाया.
प्राचार्या ने बताया षडयंत्र
कॉलेज की प्राचार्या डॉ शर्मिला रानी ने शिक्षिका की प्रताड़ित करने का आरोपों को गलत और झूठा करार दिया है. कहा कि वो कभी भी किसी शिक्षक, छात्र या कर्मियों के बीच भेदभाव नहीं करती है. यह उन्हें फंसाने का षड्यंत्र है.
अभाविप ने शुरू किया धरना
शिक्षिका के आत्महत्या के प्रयास की घटना के बाद एबीवीपी ने कॉलेज के मुख्य गेट पर धरना शुरू कर दिया. धरना में शामिल शिवम कुमार सिंह और अंशु तिवारी ने कहा कि कॉलेज के प्राचार्या की मनमानी से यहां के शिक्षकों के साथ-साथ छात्र भी परेशान हैं. आए दिन कॉलेज में ऐसी घटनाएं सामने आ रही है.
क्या था मामला
जानकारी के अनुसार शिक्षिका प्रो.वीणा शर्मा ने मानदेय कटौती का विरोध किया था. इसे लेकर उन्होंने शनिवार को ही प्राचार्या डॉ.शर्मिला रानी से मुलाकात की थी. लेकिन उन्होंने कोई भी मदद करने से इनकार कर दिया. बता दें कि कई कॉलेजों में अथिति शिक्षकों को 57,700 जबकि कुछ कॉलेजों में मात्र 18 से 20 हज़ार रुपया का भुगतान किया गया है. जिसे लेकर शिक्षक विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं.
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