Katras : कतरास (Katras) जिस कतरी नदी के नाम पर कतरास शहर का नामकरण हुआ, उसी का अस्तित्व आज खतरे में है. कतरी नदी कतरास का गौरव माना जाता है. परंतु यही नदी आज मरणासन्न स्थिति में है. नदी का जोरों से अतिक्रमण जारी है. एवं नदी के इर्द-गिर्द गंदगी व धूल का अम्बार लगा हुआ है. फलस्वरूप यह नदी नाले में तब्दील होती नजर आ रही है. जगह-जगह इस नदी में गंदगी का अम्बार दिखता है. बरसात के समय नदी में गिरा हुआ कचरा यत्र-तत्र फैलकर इसके बहाव को भी प्रभावित करता है. नदी के किनारे की जमीन का अतिक्रमण कर कई लोगों ने छोटे-मोटे कमरे आदि बना लिये हैं. नदी किनारे ईंट निर्माण का काम भी हो रहा है. कतरास शहर के कचरे का एक बड़ा हिस्सा इसी नदी में आता है.
आउटसोर्सिंग कंपनियों ने किया बुरा हाल
कतरी नदी के किनारे उत्खनन कार्य में लगी आउटसोर्सिंग कंपनियों ने इस नदी का बुरा हाल कर रखा है. हालत यह है कि नदी अपने वर्तमान स्वरूप से भटक गई है. कहीं-कहीं आउटसोर्सिंग कंपनियों ने ओ बी डालकर इस नदी का मूल मार्ग ही परिवर्तित कर दिया है. बताते हैं कि कतरी नदी का उदगम स्थल तोपचांची के खुदिया जंगल स्थित नाला एवं पारस नाथ पहाड़ की तलहटी में है. सूत्र बताते हैं कि कतरी नदी के उद्गम स्थल से पानी के स्रोत का ह्रास होता जा रहा है.
लिलोरी मंदिर के निकट भयावह स्थिति
कभी यहां के लोग कतरी नदी के पवित्र जल में नहा-धोकर मां लिलोरी की पूजा-अर्चना करते थे. परंतु आज यह नदी प्राकृतिक खिलवाड़ के कारण स्वयं अपवित्र हो गई है. 26 सितंबर 1995 की वह मनहूस काली रात आज भी कतरास वासियों को याद है. बताते हैं कि उस दिन भारी बारिश से कतरी नदी का किनारा टूट कर बगल की गजली टांड कोलियरी के खदान में जा घुसा, जिससे 64 लोगोंगो को जल समाधि लेनी पड़ी थी.
सरयू राय ने किया था ट्वीट
7 जून 2020 को पूर्व मंत्री सरयू राय कतरास आये थे. उन्होंने कतरी नदी को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं हेमंत सोरेन को ट्वीट किया था. उन्होंने इस नदी का अस्तित्व बचाने की गुहार लगाई थी.
नदी को बचाने आगे आई समिति
इन दिनों कतरी नदी बचाओ अभियान समिति पूरी ईमानदारी के साथ अपनी मुहीम में जुटी हुई है. समिति के संयोजक लखन महतो का मानना है कि कतरी नदी कतरास वासियों के लिए मां गंगा के समान है. उन्होंने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि इसका अस्तित्व बचाने का पुनीत कार्य करें. उनके साथ इस मुहीम में मुबारक हुसैन, उमेश विश्वकर्मा, उमाकांत तिवारी, अर्जुन महतो, विशाल महतो, नंदन चक्रवर्ती, रंजीत हाड़ी, बाबा, राजेश स्वर्णकार, हंजला बीन हक आदि शामिल हैं.
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