Maithon : चिरकुंडा के तीन नंबर चढ़ाई स्थित रामभरोसा धाम सार्वजनिक मंदिर की पहली वर्षगांठ पर आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन 28 जून को वृंदावन से आये कथावाचक माधव जी महाराज ने भगवान की महिमा का बखान मार्मिक अंदाज में किया. साथ ही वैराग्य को भी परिभाषित किया. कहा कि वृद्धावस्था में आने वाला वैराग्य सच्चा वैराग्य नहीं है. जवानी में ही वैराग्य की परीक्षा होती है. क्योंकि जिसके पास देने को कुछ नहीं है, वह त्याग करे तो उसका कोई मतलब नहीं. जवानी में सुख- संपत्ति होने पर भी मन विषय सुख में न रमे, यही सच्चा वैराग्य होता है. जिसे युवावस्था में ही वैराग्य हो और वह संयमित रहकर भजन प्रवृत्ति में रम जाये, तो वृद्धावस्था में भगवान की प्राप्ति होती है. वृद्धावस्था में शारीरिक अशक्ति के कारण व्यक्ति भक्ति नहीं कर सकेगा. श्रीरामचंद्र जी युवावस्था में ही वन गए थे. तब उनकी आयु 27 वर्ष थी, जबकि सीताजी 18 वर्ष की थीं. यानी भगवान ने यौवन में ही रावण को मारा था. अत: व्यक्ति को अपनी युवा अवस्था में ही काम रूपी रावण का नाश करना चाहिए.
भागवत कथा को सफल बनाने में मंदिर के प्रधान पुजारी रामरतन पांडेय, आचार्य अविनाश पांडेय, एकानन्द पांडेय, मनोज कुमार पांडेय, सत्येंद्र पांडेय, पुरुषोत्तम पांडेय, शशि भूषण पांडेय सहित चिरकुंडा के भक्तों का सराहनीय सहयोग मिल रहा है.
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