21 रेल थानों से होकर गुजरने वाली एक भी ट्रेन का एस्कॉर्ट नहीं करती रेल पुलिस
Dhanbad : धनबाद समेत 16 जिलों से होकर गुजरनेवाली 217 ट्रेनों में सफर करनेवाले 5 लाख यात्रियों का कोई रखवाला नहीं है. जीआरपी के पदाधिकारी व पुलिसकर्मी एक भी ट्रेन का एस्कॉर्ट नहीं करते हैं. रेल पुलिस सूत्रों के अनुसार धनबाद रेल जिला क्षेत्र में एक पुलिस केंद्र और 21 रेल थाना है, जिसमें गोमो, कोडरमा, गिरिडीह, कुसुंडा, चंद्रपुरा, गोमिया, बरकाकाना, डालटनगंज, गढ़वा रोड, कुमारधुबी, पाथरडीह, भागा, भोजूडीह, चित्तरंजन, मधुपुर, देवघर, जसीडीह, पाकुंड़, बड़हरवा व साहिबगंज शामिल हैं. लगभग सभी थानों में थानेदार समेत दो दर्जन पुलिसकर्मी हैं. मिलाकर कुल मिला कर 506 पुलिसकर्मी के वेतन पर हर माह 2 करोड़ 53 लाख रुपये खर्च होते हैं. बावजूद जनता की रखवाली करने की बजाय सभी चैन की नींद सो रहे हैं.
23 वर्षों से हथियार लेकर ट्रेनों में नहीं चल रहे रेल पुलिसकर्मी
वर्ष 2000 में नक्सली चंद्रपुरा रेल थाना पर हमला कर शस्त्रागार से सभी हथियार व गोलियां लूट ले गए थे. उसके बाद मुख्यालय के निर्देश पर गोमो, कोडरमा, बरकाकाना, गढ़वा रोड व जसीडीह समेत सभी रेल थानों से हथियारों व गोलियों को सरेंडर कर दिया गया. यहां तक कि थानेदार, इंस्पेक्टर व डीएसपी को दिए गए पिस्टल व गोलियों को भी सरेंडर करा दिया गया. नक्सलियों के भय के कारण रेल पुलिस कर्मी हथियार विहीन हो गए. उसके बाद 23 वर्षों से पुलिसकर्मियों ने ट्रेनों में एस्कॉर्ट करना छोड़ दिया. कभी कभार यात्री बनकर बगैर हथियार के गिने चुने ट्रेनों में सिर्फ चेकिंग करते हैं.
क्राइम होने पर एफआईआर व अनुसंधान
ट्रेनों व स्टेशनों पर क्राइम होने पर रेल थानों में सनहा व एफआईआर होती है. पुलिस का काम केस करने के बाद सिर्फ अनुसंधान करना और अपराधियों को पकड़ना रह गया है. हथियार नहीं रहने से अपराधियों को पकड़ने में भी परेशानी होती है. थानों की पुलिस से मदद लेते हैं, जो कई बार समय पर नहीं मिलती है और अपराधी भाग जाते हैं.
बंद हो गया एस्कॉर्ट: रेल एडीजी
रेल एडीजी टी कंडास्वामी का कहना है कि झारखंड के ट्रेनों में रेल पुलिस की ओर से एस्कॉर्ट बंद हो गया है. अभी कुछ ट्रेनों में आरपीएफ व आरपीएसएफ के पदाधिकारी व जवान एस्कॉर्ट करते हैं, जिनमें राजधानी समेत अन्य ट्रेनें शामिल हैं.