Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) जिले के गोविंदपुर स्थित आरएस मोर कॉलेज में 23 सितंबर को राज्य के पुरोधा बिनोद बिहारी महतो की जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस विशेष अवसर पर इतिहास एवं हिंदी विभाग ने “झारखंड के विकास में बिनोद बिहारी महतो का योगदान” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया. प्राचार्य डॉ. प्रवीण सिंह ने कहा कि बिनोद बाबू जीवन भर शोषित, पीड़ित व वंचितों के हक के लिए संघर्ष करते रहे. उनका मूल सिद्धांत “लड़ना है तो पढ़ना सीखो” था. कहते थे- बिना लड़े अधिकार नहीं मिल सकते. उन्होंने झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन की नींव रखी.
प्रो. अविनाश कुमार ने कहा कि बिनोद बाबू झारखंड राजनीति के भीष्म पितामह व सर्वमान्य नेता थे. छात्र जीवन से ही वे झारखंड आंदोलन में कूद पड़े. पढ़ो और लड़ो के नारे के साथ उन्होंने सामाजिक क्रांति लाई. प्रो. सत्यनारायण गोराई ने कहा कि बिनोद बाबू ने जल, जंगल व जमीन का नारा देकर समाज को जगाने का काम किया. शंकर रविदास ने उनके जीवन के यादगार पलों को साझा किया. मंच संचालन प्रो. तरुण कांति खलखो व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अजीत कुमार बर्णवाल ने किया. इससे पूर्व प्राचार्य समेत सभी आगंतुकों ने बिनोद बिहारी महतो की तस्वीर पर फूल-माला चढ़ाकर नमन किया. कार्यक्रम में डॉ. राजेन्द्र प्रताप, डॉ. रत्ना कुमार, डॉ. कुसुम रानी, डॉ. अवनीश मौर्या, प्रो. त्रिपुरारी कुमार, प्रो. राकेश ठाकुर, प्रो. इक़बाल अंसारी, प्रो. पूजा कुमारी, प्रो. स्नेहलता होरो, मो. शारिक, प्रदीप महतो, एतवा टोप्पो, रतन टोप्पो, मनोज तिर्की, शिव नारायण चौधरी, सुजीत मंडल, दयामय मंडल आदि मौजूद रहे.
यह भी पढ़ें : धनबाद : मुराईडीह कोलियरी में भिड़े ढुल्लू व कन्हाई समर्थक, जमकर फायरिंग, बम फोड़