Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) लोक आस्था का महापर्व छठ का इंतजार केवल छठ व्रतियों को ही नहीं बल्कि कद्दू उत्पादक किसानों को भी बेसब्री से रहता है, जो अब समाप्त हो गया है. दीपावली की समाप्ति और छठ की शुरुआत के साथ ही कद्दू की फसल भी तैयार हो चुकी है. कल तक कद्दू बाजार में बिकने के लिए पहुंच जाएंगे. धनबाद जिले के तोपचांची, टुंडी, बलियापुर, पूर्वी टुंडी आदि ग्रामीण इलाकों में कद्दू की खेती होती है. कद्दू की फसल लगाने वाले किसानों को इस पर्व से काफी उम्मीद रहती है. नहाय खाय के साथ कद्दू भात खाने की परंपरा है. इस अवसर पर बाजार में कद्दू की खरीदारी के लिए होड़ मची रहती है.
मेहनत के बाद मिलता है अच्छा भाव : गोपाल रजक
पूर्वी टुंडी के रामपुर पंचायत के कद्दू उत्पादक गोपाल रजक बताते हैं कि व्रत से करीब दो माह पहले कद्दू की खेती की सभी तैयारी पूरी कर ली जाती है. इस समय कद्दू का बाजार भाव भी अच्छा मिलता है. पर्व की शुरुआत कद्दू भात से होती है तो लोकल बाज़ारों में डिमांड के साथ अच्छी कीमत भी मिल जाती है.
कार्तिक छठ में डिमांड अधिक : संतोष महतो
बलियापुर पश्चिमी पंचायत के किसान संतोष महतो ने बताया कि चैती छठ पर भी कद्दू की खेती करते हैं, लेकिन कद्दू की डिमांड मार्केट में कम होती है. कार्तिक छठ पर कद्दू की खेती वृहद पैमाने पर करते हैं, क्योंकि डिमांड भी अधिक होती है. वह बताते है कि आज पास के मुहल्ले में छठ व्रत करने वाली महिलाओं के बीच कद्दू का मुफ्त वितरण भी करते हैं.
छठ में कद्दू का विशेष महत्व
चार दिवसीय छठ महापर्व में कद्दू का विशेष महत्व है. पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है. व्रती मिट्टी के बर्तन में लकड़ी की आंच पर कद्दू की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल का भात बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. नहाय खाय से पहले ही बाज़ार में कद्दू के भाव आसमान छूने लगते हैं.
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