Mahuda: महुदा (Mahuda) महुदा क्षेत्र के बाइस गांवों में जलापूर्ति के लिए बनी पाथरगड़िया ग्रामीण जलापूर्ति योजना को बीस वर्ष पूरे हो चुके. परंतु अब तक ग्रामीणों को पेयजल नसीब नहीं हुआ. फिलहाल योजना टेस्टिंग पीरियड में है. कुछ गांवों को कभी कभार पानी मिल जाता है, परंतु योजना का विधिवत उद्घाटन नहीं हो सका है.
शिलान्यास के बाद से ही होता रहा घपला
करोड़ों रुपये की लागत वाली योजना का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने वर्ष 2003 में किया था. तत्कालीन पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री जलेश्वर महतो की देखरेख में काम शुरू हुआ. उनके कार्यकाल में ही जलापूर्ति शुरू हुई. कुछ दिनों के बाद जलेश्वर महतो चुनाव हार गए और योजना बंद हो गई. उसके उपकरण अपराधियों ने लूट लिया, बाकी सामान दामोदर की बाढ़ की भेंट चढ़ गये. उसके बाद वर्तमान विधायक ढुल्लू महतो ने अपने तीसरे कार्यकाल में ग्रामीणो की मांग पर योजना का काम शुरू कराया. मगर ठेकेदार द्वारा सही समान नहीं लगाए जाने से नियमित खराबी आ रही है. इधर ग्रामीणों को जलापूर्ति योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. निर्माण कार्य में अनियमितता के कारण ही इंटेक वेल की सीढ़ी धराशायी हो गई, जिसे फिर से बनाया गया.
कुओं का जलस्तर गिरा, चापाकल भी खराब
वर्तमान समय में एक सप्ताह से जलापूर्ति बाधित है. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि इस वर्ष गर्मी में पानी के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा, लेकिन योजना की स्थिति देखते हुए लग रहा है कि इस वर्ष भी ग्रामीणों की आस पूरी नहीं होनेवाली है. गांव के लोग अब भी कुआं, तालाब एवं चापाकल पर निर्भर हैं. अधिकतर कुओं का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. यही हालत तालाबों एवं चापाकलों की है. चापाकलों से सुबह पानी मिल जाता है, लेकिन दिन में पानी देना बंद कर देता है. पाथरगड़िया जलापूर्ति योजना के संबंध मे पूछे जाने पर एसडीओ सोमर मांझी ने फोन नहीं उठाया. जेई मोहन मंडल ने कहा कि योजना से जलापूर्ति बंद होने की कोई जानकारी नहीं है.