Kumar Balram
Baghmara : बाघमारा (Baghmara) कभी राजा महाराजाओं के हाथ की शोभा बढ़ाने वाली तलवार बेरोजगारों को रोजगार दे रही है, तो खंजर की चमक कई लोगों के पेट की भूख मिटाने का भी काम कर रही है. कई बेरोजगार युवकों ने इस कारोबार की विरासत को संभाल कर आजीविका का साधन बना लिया है. धनबाद जिले के तोपचांची से सटे साहूबहियार, चलकारी, मानटांड गांव के अधिकतर लोग प्राचीन और मध्य काल में शासकों के प्रिय हथियार की दुकान सजा कर गुजर-बसर कर रहे हैं.
आसपास के बाजारों में नहीं मिलते ऐसे हथियार
लगभग तीन दशक से प्रखंड की एक बड़ी आबादी इन्हीं हथियारों को बेच कर पेट पाल रही है. तोपचाची प्रखंड के जीटी रोड पर बसे ये गांव हथियारों के व्यवसाय के केन्द्र बने हुए हैं. इन दुकानों में बांस की लाठी, बरछा, भाला, तलवार, भुजाली, फरसा, चाकू, गुप्ती, गड़ासा, गदा, ढाल सहित दो दर्जन से अधिक पारंपरिक हथियारों के आइटम सजे होते हैं. आसपास के बाजारों में ऐसे हथियार मिलते भी नहीं हैं.
बिक्री के लिए उपलब्ध हैं पंजाब व चीन निर्मित तलवार
एक दुकानदार शहबाज खान ने बताया कि राजस्थान के जयपुर और भेंडरा बोकारो में कई ऐसे कारखाने हैं, जहां ऐसे तलवार आदि बनाए जाते हैं. वहां से थोक में खरीदकर दुकान में सजा कर बेचते हैं. इसके अलावा पंजाब और चीन निर्मित तलवार भी यहां बेचे जाते हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग NH2 के किनारे इन दुकानों से कई राज्यों के लोग खरीदारी करते हैं.
शौकीन लोग गाड़ी रोक कर करते हैं खरीदारी
तलवार और लाठी के शौकीन लोग वहां अपनी गाड़ियां खड़ी कर खरीदारी करते मिलते हैं. जीटी रोड के किनारे सजी ये दुकानें दिन-रात खुली रहती हैं. रोजगार नहीं मिलने पर लोगों ने विरासत में मिले इस कारोबार को आजीविका का साधन बना लिया. इस क्षेत्र के कई युवा इस कारोबार के सहारे परिजनों का भरन पोषण कर रहे है. युवकों का कहना है कि खुशहाल जीवन व्यतीत करने लायक बिक्री हो जाती है. रामनवमी और मुहर्रम के मौके पर इन औजारों की अच्छी बिक्री होती है.
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