NewDelhi : खबर है कि धर्म संसद कार्यक्रमों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक दिन बाद कल सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखा है. अपने पत्र में इस माह प्रस्तावित ऐसे आयोजनों में भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाने का अनुरोध किया है.
इसे भी पढ़ें : स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में हुए शामिल, उत्साह में अखिलेश, कहा, सपा गठबंधन 400 सीटें भी जीत सकता है
पत्र की प्रति चुनाव आयोग को भी भेजी गयी है
जानकारी के अनुसार कपिल सिब्बल ने अपने पत्र की प्रतियां उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों, गृह सचिवों और पुलिस प्रमुखों के अलावा अलीगढ़ तथा हरिद्वार के पुलिस अधीक्षकों को भेजी हैं. साथ ही इसकी प्रति चुनाव आयोग को भी भेजी गयी है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में हेट स्पीच मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने अलीगढ़ और हरिद्वार के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस तरह के आयोजनों को रोकने के लिए धारा 144 लागू करने सहित निवारक उपाय करने की गुहार लगायी है.
इसे भी पढ़ें : विश्व हिंदू परिषद का हिंदुओं को एकजुट करने का 10 दिवसीय अभियान, महामंत्री ने कहा, हर हिंदू तीन बच्चे पैदा करे
हम विधानसभा चुनावों के बीच में हैं
उन्होंने कहा, हम विधानसभा चुनावों के बीच में हैं और हम किसी भी व्यक्ति को मकसद नहीं देना चाहते हैं. लेकिन अगर चुनाव के बीच में इस तरह के भाषण दिये जाते हैं, तो वे सामाजिक व्यवस्था , इस देश की राजनीति को अस्थिर कर देंगे और गंभीर परिणाम होंगे. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप अपनी शक्तियों के भीतर ऐसी निवारक कार्रवाई करें, जो आवश्यक है, जिसमें आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 3 और 5 शामिल हैं.
इसे भी पढ़ें : 31 जनवरी से शुरू होगा संसद का बजट सत्र, 8 अप्रैल तक दो भागों में चलेगा सत्र
अलीगढ़ डीएम को लिखे पत्र में कहा
अब खबरें हैं कि 22-23 जनवरी, 2022 को अलीगढ़ में एक और धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 17-19 दिसंबर, 2021 के बीच आयोजित उपरोक्त कार्यक्रमों में भाग लेने वाले वक्ताओं के फिर से बोलने की संभावना है.
हरिद्वार के डीएम को लिखे एक अन्य पत्र में, उन्होंने कहा, अब खबरें हैं कि शंकराचार्य परिषद के संतों ने 6 जनवरी को वक्ताओं के खिलाफ दर्ज की गयी एफआईआर के खिलाफ 16 जनवरी, 2022 को विरोध बैठक आयोजित करने की घोषणा की है.
नफरती भाषण सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ेंगे
कहा कि भीड़ की हिंसा की किसी भी संभावित घटना को रोकने के लिए निवारक उपाय करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर आती है, इसलिए यह जिम्मेदारी आपके कंधों पर आती है कि इस प्रकार के भाषण न हो इसे सुनिश्चित करने के लिए निवारक कार्रवाई करें.
सिब्बल ने लिखा, हमारा मानना है कि अगर इस तरह के आयोजन उत्तर प्रदेश राज्य में भी होते हैं और इसी तरह के भाषण दिये जाते हैं, तो यह न केवल सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ेगा, बल्कि विभिन्न आपराधिक अपराधों को भी अंजाम देगा.