Gaurav Prakash
Hazaribagh: विभिन्न दलों के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खिरगांव स्थित श्मशान घाट में एकदिवसीय धरना देकर विरोध दर्ज किया. दरअसल खिरगांव स्थित श्मशान घाट में विद्युत शवदाह गृह 5 साल पहले बना था. शवदाहगृह बनने के बाद एक भी शव का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह से नहीं हो पाया. पूरा मशीन धीरे-धीरे कंडम होता जा रहा है .ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नगर निगम और जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए श्मशान घाट पर धरना दिया.
धरना पर बैठे भारतीय जनता पार्टी के नेता अनुपम सिन्हा ने कहा कि लगभग दो करोड़ की लागत से आज से 5 साल पहले विद्युत शवदाह गृह बनाया गया था. शवदाहगृह बनाने का उद्देश्य था कि लकड़ी की बजाए बिजली से अंतिम संस्कार किया जा सके. लेकिन हजारीबागवासियों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिला. रखरखाव और अन्य समस्याओं के कारण विद्युत शवदाह गृह नगर निगम का डेड एसेट बनता जा रहा है. इसे लगाने में चेन्नई की एक कंपनी से करार की गई थी. लेकिन उस करार का भी कोई अता-पता नहीं है. मशीन खराब होने के बाद रिपेयर नहीं कराया गया है. वहीं 10 लाख से अधिक का बिजली बिल बिजली विभाग ने श्मशान घाट प्रबंधन को भेज दिया है. अब हमलोगों की यही चाहत है कि जल्द से जल्द विद्युत शवदाहगृह चालू किया जाए.
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जेएमएम नेता रुचि कुजुर ने कहा कि विद्युत शवदाहगृह कमीशनखोरी का भेंट चढ़ गया. जिले में महापौर विधायक और सांसद सभी भाजपा के हैं. लेकिन किसी ने भी इसे दुरुस्त कराने की कोशिश नहीं की. हमलोग राज्य सरकार को जल्द से जल्द विद्युत शवदाहगृह दुरुस्त करने की मांग करेंगे, ताकि आम जनता को इसका लाभ मिल सके. मुक्तिधाम हर एक व्यक्ति का अंतिम पड़ाव माना जाता है, लेकिन हजारीबाग के सरकारी सिस्टम ने मुक्तिधाम तक को नहीं छोड़ा. आलम यह है कि करोड़ों रुपए की लागत से बना विद्युत शवदाहगृह श्मशान घाट की शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्युत शवदाह गृह का उद्घाटन भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने कार्यकाल के दौरान किया था. लेकिन उनका किया गया उद्घाटन का लाभ जनता को नहीं मिला.
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