साइबर क्राइम के नाम से कुख्यात जामताड़ा की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की कर रहीं कोशिश
हजारीबाग में पलाश स्मार्ट और दीदी किचन की कामयाबी का राज जानने पहुंचीं जामताड़ा की महिलाएं
Gaurav Prakash
Hazaribagh : हजारीबाग की दीदीयां बिजनेस गुरु बन जामताड़ा की महिलाओं को तालीम दे रही हैं. दरअसल साइबर क्राइम के नाम से कुख्यात जामताड़ा की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रही हैं. जिले में पलाश मार्ट और दीदी किचन की कामयाबी का राज जानने के लिए इन दिनों जामताड़ा जिले से 10 दीदीयां हजारीबाग पहुंची हैं. सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, समारणालय परिसर पलाश मार्ट और दारु की झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सेंटर जाकर महिलाओं से उनकी हुनर सीख रही हैं.
राज्यभर में हजारीबाग जेएसएलपीएस के कार्यों की सराहना
दरअसल हजारीबाग में जेएसएलपीएस इन दिनों बेहतर काम कर रही है. उसकी चर्चा पूरे राज्य भर में हो रही है. जेएसएलपीएस के जरिए महिलाओं को संगठित करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. हजारीबाग में हजारों की संख्या में महिलाएं जुड़कर सखी मंडल बना रही हैं. सखी मंडल की महिलाएं आपस में मिलकर एक से बढ़कर उत्पाद बना उन्हें बाजारों में बेच रही हैं. इसके लिए जिला प्रशासन ने भी पलाश स्मार्ट बनाया है. वहां उनके बनाए उत्पाद सरसों के तेल, दाल, चावल, अचार, बैग, मशरूम गिफ्ट आदि आइटम बेचे जा रहे हैं. पलाश मार्ट में सखी मंडल की दीदी अपना उत्पाद लाकर देती हैं. उत्पाद को बेचकर संबंधित सखी मंडल को पैसे दिए जाते हैं. जिला मुख्यालय के अलावा भी कई ऐसे प्रखंड हैं, जहां पलाश मार्ट बनाया गया है और वहां उत्पाद बेचे जा रहे हैं. इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधर रही है.
दीदी किचन से हो रहा अच्छा मुनाफा
इसी तरह समारणालय परिसर के साथ मेडिकल कॉलेज परिसर में दीदी किचन स्थापित किया गया है. इसके लिए जिला प्रशासन ने परिसर बनाकर सखी मंडल को दिया है. लगभग 10 महिलाएं जुड़कर भोजनालय चला रही हैं और उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है.
व्यवसाय की बारीकियों को समझने का प्रयास
पलाश स्मार्ट और दीदी किचन की सफलता को देखने के बाद जामताड़ा जिला प्रशासन ने 10 दीदीयों को हजारीबाग भेजा है. इनमें उतोसी हांसदा, सुचित्रा, प्रमीला मरांडी, शांति हेम्ब्रोम आदि शामिल हैं. उनका सिद्धार्थ गुड़िया के नेतृत्व में हजारीबाग में विजिट चल रहा है. जामताड़ा से आयी महिलाएं बताती हैं कि हजारीबाग की चर्चा जामताड़ा में है. यहां की दीदीयां बेहतरीन काम कर रही हैं और अपना जीवन यापन कर रही हैं. ऐसे में वह कैसे काम करती हैं, मार्केटिंग करने का तरीका क्या है, ग्राहक से कैसे बात करती हैं, कैसे अपना व्यवसाय मेंटेन कर रही हैं, इसकी बारीकी जानने के लिए आयी हैं. वे लोग यह भी कहती हैं कि जामताड़ा में भी दीदी चूड़ी, सरसों का तेल, मडुवा, सत्तू, पत्तल दोना, मुड़ी समेत कई सामान बना रही हैं. लेकिन हजारीबाग में जिस तरह से काम हो रहा है, ऐसा जामताड़ा में नहीं हो रहा है. उनका कहना है कि जामताड़ा में भी सखी मंडल बेहतर काम करेंगी.