Satya Sharan Mishra
Ranchi: लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों की घोषणा के बाद भाजपा के अंदर कलह शुरू हो गया है. ऐसे में 14 में से 8 सीटों पर भाजपा की राह आसान नजर नहीं आ रही है. घोषित प्रत्याशियों के नाम पर भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी, गुजबाटी और अंदरूनी कलह धीरे-धीरे सामने आने लगा है. सबसे पहले पलामू में भाजपा का अंतर्कलह सामने आया है. वहीं खूंटी, दुमका, राजमहल और सिंहभूम में भाजपा कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग प्रत्याशी से नाराज है. समय रहते गुटबाजी खत्म नहीं हुई और गुटबाजी बंद नहीं हुआ तो इन सीटों पर भाजपा को भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. तीन सीटें (चतरा, धनबाद और गिरिडीह) में प्रत्याशी के नाम का ऐलान अभी नहीं हुआ है. इन सीटों पर भी भाजपा के कार्यकर्ता मौजूदा सांसद को बदलने की मांग कर रहे हैं. चतरा में तो केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की सभा में वर्तमान सांसद सुनील सिंह के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी भी की. उधर धनबाद के सांसद पीएन सिंह के सामने विधायक ढुल्लू महतो, बिरंची नारायण, राज सिन्हा समेत भाजपा के कई दावेदार खड़े हैं. गिरिडीह सीट का हाल तो सबसे बुरा है. यह सीट भाजपा की सहयोगी आजसू के कब्जे में है. भाजपा के कार्यकर्ता पहले ही यहां सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी से किनारा कर चुके हैं. भाजपा ने इन तीनों सीटों पर कार्यकर्ताओं के मन मुताबिक प्रत्याशी नहीं चुना तो यहां भी भीतरघात की पूरी आशंका है.
वीडी राम का खुलकर विरोध
सांसद विष्णु दयाल राम को फिर से प्रत्याशी बनाये जाने से भाजपा कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग नाराज है. टिकट की लाइन में खड़े नेता इन कार्यकर्ताओं के विरोध को और हवा दे रहे हैं. दो दिन पहले पलामू के पड़वा थाना क्षेत्र के राजहरा में पोस्टर लगाकर वीडी राम का विरोध किया गया. कार्यकर्ताओं का कहना है कि वीडी राम बाहरी हैं और अब पलामू सीट पर बाहरी उम्मीदवार नहीं चलेगा. नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव जीतकर सो जाने वाला फर्जी उम्मीदवार अब पलामू को नहीं चाहिए, जैसे स्लोगन लिखकर वीडी राम का विरोध किया गया. पलामू के पूर्व सांसद ब्रजमोहन राम, एससी आयोग के पूर्व अध्यक्ष शिवधारी राम, मनोज भुईंया जैसे कई नेता थे, जो इस बार टिकट पाने की कतार में खड़े थे. पूर्व सांसद घूरन राम भी कुछ दिन पहले राजद छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे. उनकी उम्मीदों पर भी पानी फिर गया. ऐसे में नेताओं में पनपा असंतोष भीतरघात होने का संकेत दे रहा है.
खूंटी में फिर भीतरघात की आशंका
खूंटी लोकसभा के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को प्रत्याशी बनाया है. अर्जुन मुंडा 2019 में खूंटी से महज 1400 वोट से चुनाव जीत पाये थे. 2019 में भीतरघात की वजह से मुंडा चुनाव हारते-हारते बच गये थे. एक बार फिर भाजपा ने उन्हें टिकट दिया है. इस बार भी उनकी राह आसान नहीं दिख रही है. खूंटी में सांसद और विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के समर्थकों के बीच गुटबाजी अक्सर दिखती है. लोकसभा के लिए प्रत्याशी चुने जाने के बाद जब अर्जुन मुंडा पहली बार खूंटी पहुंचे, तो उनके स्वागत के लिए नीलकंठ सिंह मुंडा के गुट के नेता और कार्यकर्ता नजर नहीं आये.
राजमहल में ताला की राह होगी मुश्किल
भाजपा ने राजमहल से ताला मरांडी को प्रत्याशी बनाया है, जबकि इस सीट पर पिछले 5 साल से भाजपा के कई नेता लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. पूर्व विधायक मिस्त्री सोरेन, जिला परिषद अध्यक्ष बाबुधन मुर्मू और रेणुका मुर्मू जैसे कई नेता यहां से चुनाव लड़ने की इच्छा पाले हुए थे. इसी बीच मई 2020 में ताला मरांडी वापस भाजपा में शामिल हो गये. ताला को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद साहिबगंज लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के अंदर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. यहां भी भीतरघात की आशंका है.
सुनील सोरेन की अग्निपरीक्षा
दुमका से वर्तमान सांसद सुनील सोरेन भाजपा के प्रत्याशी बनाये गये हैं. दुमका लोकसभा क्षेत्र में भाजपा कई सालों से दो गुटों में बंटा हुआ है. एक गुट सुनील सोरेन का दूसरा गुट पूर्व मंत्री लुईस मरांडी का है. रणधीर सिंह समेत कई भाजपा विधायकों से भी सुनील सिंह की नहीं बनती. दुमका के आदिवासी वोटरों के एक बड़े वर्ग पर लुईस मरांडी का प्रभाव है. इसके अलावा मिशनरी वोटरों पर भी लुईस का अच्छा प्रभाव है. यहां चुनाव में भीतरघात हुआ, तो सीधा फायदा झामुमो को मिलेगा.
सिंहभूम में विरोधियों के साथ अपनों से भी डर
बड़कुंवर गगराई, शशिभूषण सामड और जेबी तुबिद जैसे नेता सिंहभूम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा पाले हुए थे. लेकिन प्रत्याशियों के नाम की घोषणा होने से ठीक पहले सिंहभूम से कांग्रेस की वर्तमान सांसद गीता कोड़ा ने भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा में शामिल होने के हफ्ते भर के अंदर पार्टी ने गीता कोड़ा को टिकट दे दिया है. अब वहां भाजपा को कांग्रेस और झामुमो के साथ-साथ भीतरघात से भी लड़ना पड़ेगा.