Ranchi : झारखंड की परीक्षाओं में से मैथिली भाषा हटाये जाने से आहत मैथिली समाज के लोगों ने मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया. हरमू स्थित पटेल भवन के सभागार में विश्वंभर फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में मैथिली भाषा की उपेक्षा पर बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त इसे राज्य की परीक्षाओं में शामिल करने की मांग की. मौके पर मैथिली के प्रसिद्ध लोक-कलाकार, गीतकार, गायक और मंच उदघोषक रामसेवक ठाकुर रचित श्री चंद्र-चकोरी जय-जय हो पुस्तक का लोकार्पण किया गया. इसका लोकार्पण मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद विधायक व पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने किया. इस मौके पर डॉ विद्यानाथ झा विदित, विश्वंभर फाउंडेशन के नवीन कुमार झा, विवेकानंद झा मुन्नू, प्रो नरेंद झा, लेखानंद झा, अमरनाथ झा, बाबूलाल झा समेत कई लोग उपस्थित थे.
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मंत्री मिथिलेश ठाकुर नहीं आ सके कार्यक्रम में
कार्यक्रम में मंत्री मिथिलेश ठाकुर नहीं आ सके. उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से कहा कि इस सरकार में मैथिल समाज के साथ किसी भी प्रकार का कोई अन्याय नहीं होगा. जबकि सीपी सिंह ने कहा कि वह मैथिली को द्वितीय राजभाषा बनाने में उनकी जो भी भूमिका होगी, वह निभाएंगे. विधानसभा का मानसून सत्र में इस मुद्दे को उठाएंगे. मंथन कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ विद्यानाथ झा विदित ने की. इस आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक सात सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया.
कार्यक्रम के दौरान रामसेवक ठाकुर ने स्वरचित पुस्तक श्री चन्द्र चकोरी जय जय के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी. इस पुस्तक में जानकी-विवाह प्रकरण से संबंधित मिथिला में धी-बेटियों की विवाह में गाए जानेवाले गीतों का नया प्रारूप प्रस्तुत किया गया है, जो भक्तिभाव से ओतप्रोत है.
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