Medininagar (Palamu): मेदिनीनगर सदर अस्पताल के एएनएम स्कूल में बुधवार को जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया. विश्व एड्स दिवस के अवसर पर आयोजित शिविर में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अरविंद कच्छप मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि रोगी से नहीं रोग से घृणा करना चाहिए. कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी बीमारी को ग्रहण नहीं करता है. एड्स बीमारी होने पर हमें किसी प्रकार का संकोच नहीं करना चाहिए.
सचिव अरविंद कच्छप ने कहा कि बीमारी को लेकर लोगों में बहुत बड़ा भ्रम फैला हुआ है. जबकि मरीज दवाइयों से आराम से जीवन व्यतीत कर सकता है. सिविल सर्जन अनिल कुमार सिंह ने कहा कि एड्स रोगी से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करें. क्योंकि उपेक्षा से रोगियों में मानसिक बीमारी होने की संभावना बनी रहती है. एड्स रोगियों को भी काउंसिलिंग करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एड्स रोगी का नाम और पता गोपनीय रखा जाता है. भय मुक्त होकर इसकी जांच कराएं और सावधान रहें. आईसीटीसी के नोडल ऑफिसर डॉ जॉन ऑफ केनेडी ने कहा कि एड्स से अब तक चार करोड़ लोग मर चुके हैं. एड्स एक बीमारी नहीं बल्कि एक सिंड्रोम है. जिसमें टी सेल्स काम नहीं करता है. इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है.
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एड्स मरीज को तिरस्कार नहीं ,प्यार चाहिए
केनेडी ने कहा कि एड्स रोगी को टीवी और लूज मोशन ज्यादा होता है. एड्स की अभी तक कोई दवा नहीं बनी है. कहा कि एड्स से चार करोड़ लोग अभी भी जूझ रहे हैं. असमानता सबसे बड़ी रुकावट है. जब तक असमानता हम दूर नहीं करेंगे तब तक एड्स खत्म करना हम लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. अधिवक्ता संतोष कुमार पांडेय ने कहा कि हमें एड्स मरीज को तिरस्कार नहीं बल्कि प्यार देना चाहिए. ताकि उसका हौसला बढ़े व अपनी बीमारी से लड़ सके. कहा कि एड्स रोगी के साथ खाना खाने, बिस्तर पर सोने, स्नानागर में स्नान करने, एड्स रोगी से हाथ मिलाने या मच्छर काटने से यह बीमारी नहीं होती है. बल्कि असुरक्षित यौन संबंध से यह बीमारी होती है. कहा कि एड्स एक लाइलाज बीमारी है. जागरुकता और सतर्कता ही इसका बचाव है.
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