Rishi Ranjan (RYT200, PGDY, IYEC, Masters In Yogic Science)
LagatarDesk : योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं, बल्कि विज्ञान है. योग एक संपूर्ण जीवनशैली है जो आपकी पूरी जिंदगी को बदलने में अहम भूमिका निभा सकता है. योग विज्ञान का ऐसा ही एक आसन वज्रासन भी है. वज्रासन दो शब्दों वज्र और आसन से मिलकर बना है. इसमें वज्र शब्द का संस्कृत में अर्थ आकाशीय बिजली या हीरा होता है. जो हिंदू देवता इंद्र का शास्त्र है. जबकि आसन का अर्थ बैठना होता है.
शरीर में बिखरी हुई ऊर्जा को करता है व्यवस्थित
वज्रासन शरीर में बिखरी हुई ऊर्जा को व्यवस्थित कर सकता है. इसके अलावा ये शरीर को हीरे के समान कठोर बनाने में भी मदद कर सकता है. इसलिए इस आर्टिक्ल में हम आपको वज्रासन से संबंधित सारी जानकारी देंगे. जो आपके लिए फायदेमंद होगा.
भोजन करने के बाद करना चाहिए वज्रासन
वैसे तो हर योग को खाली पेट करने की सलाह दी जाती है. लेकिन वज्रासन इसका अपवाद है. वज्रासन को हमेशा भोजन करने के बाद ही करना चाहिए. यदि भोजन करने के बाद वज्रासन का अभ्यास किया जाये तो इससे पेट और पाचनतंत्र संबंधित बीमारियां धीरे-धीरे ठीक होती हैं.
वज्रासन करने की विधि :
- पैरों को मोड़कर घुटनों के बल बैठ जायें. अपने पैरों के पंजों को पीछे की तरफ खींचें. उन्हें साथ बनाये रखें और पैर के अंगूठों को एक-दूसरे पर क्रॉस कर लें.
- धीरे-धीरे अपने शरीर को इस प्रकार नीचे ले जायें कि आपके हिप्स एड़ियों पर जाकर टिक जाये. जबकि आपकी जांघें आपके काफ मसल्स पर टिकें.
- अपने दोनों हाथों को घुटनों पर और सिर एकदम सीधा रखें. आपका चेहरा एकदम सामने की ओर रहेगा.
- अपना ध्यान सांसों की गति पर केंद्रित रखें. इस बात का पूरा ध्यान रखें कि आप कैसे सांस ले रहे हैं. सांस आने और जाने पर बराबर ध्यान बनाये रखें.
- अपनी आंखें बंद कर लें और सांस की गति पर ध्यान दें. धीरे-धीरे अपने दिमाग को अन्य सभी बातों से हटाकर सिर्फ सांस के आने और जाने पर केंद्रित करने की कोशिश करें.
- इस आसन का अभ्यास शुरुआत में कम से कम 5 मिनट और अधिकतम 10 मिनट तक कर सकते हैं. अभ्यस्त हो जाने पर इसे 30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं.
वज्रासन करने के फायदे :
- वज्रासन के नियमित अभ्यास से पाचन क्रिया सुधरती है और कब्ज को दूर करने में मदद मिलती है.
- बेहतर पाचन तंत्र से अल्सर और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है.
- वज्रासन के अभ्यास से पीठ और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और कमर दर्द के साथ साइटिका के मरीजों को भी राहत मिलती है.
- ये आसन शरीर में पेल्विक मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है.
- ये आसन मेडिटेशन करने या ध्यान करने के लिए भी सबसे अच्छा माना जाता है.
- इसको करने से अधिक वायु दोष या दर्द में आराम मिलता है.
- घुटने और एड़ी के जोड़ लचीले होते हैं. गठिया वात रोग की संभावना कम होती है.
वज्रासन करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
वज्रासन शुरू करने के बाद थोड़े समय में आपके पैरों या घुटने में दर्द होने लगे तो तुरंत सामान्य हो जायें. फिर अपने पैरों को सीधा करके स्ट्रेचिंग करें. अपने टखने, घुटने और पिंडली की मांसपेशियों का धीरे-धीरे मसाज करें. समय बीतने के साथ ही आप इस आसन को करने के अभ्यस्त हो जायेंगे. तब आप इस आसन को करने का समय 30 मिनट तक भी बढ़ा सकते हैं.
वज्रासन करने में बरतें ये सावधानियां
वैसे तो वज्रासन को बेहद सुरक्षित आसन माना जाता है. लेकिन फिर भी इस आसन का अभ्यास करते समय कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए.
- अगर आपको घुटनों में किसी प्रकार की समस्या है या फिर आपने घुटनों में कोई सर्जरी करवाई है तो इस आसन का अभ्यास बिल्कुल न करें.
- अगर आपको पसलियों की हड्डियों या फिर निचली पसलियों में किसी भी तरह की समस्या हो तो इस आसन का अभ्यास बिल्कुल भी न करें.
- अगर आप आंतों में अल्सर, हार्निया और बड़ी या छोटी आंत से जुड़ी किसी भी समस्या से परेशान हैं तो इस आसन का अभ्यास किसी योग गुरु की देखरेख में ही करें.
- रीढ़ की गंभीर समस्या से पीड़ित इसे न करें.
- गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास करते समय अपने घुटनों को थोड़ा अलग रखना चाहिए ताकि पेट पर दबाव ना आये.
इस स्क्रिप्ट से कई महत्वपूर्ण बातों को समझने में मिलेगी मदद
इसमें कोई दो राय नहीं कि योगासन से तन और मन को स्वस्थ बनाया जा सकता है. खासकर जब बात वज्रासन की हो. इस आसन को करना न सिर्फ आसान है बल्कि इसे किसी भी वक्त किया जा सकता है. साथ ही इसे करने से कई फायदे भी मिलते हैं. अगर लेख को पढ़ने के बाद आप भी इस योगासन को करने की सोच रहे हैं तो यहां बतायी गयी सावधानियों और टिप्स पर भी जरूर गौर करें. वज्रासन कब नहीं करना चाहिए और किन स्थिति में थोड़ा ध्यान देना आवश्यक है. इससे इन सब बातों को समझने में मदद मिलेगी.