LagatarDesk : सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है. यही कारण है कि प्राचीन ऋषि-मुनि सूर्य की पूजा अर्चना करते थे. सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है. यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत और स्वस्थ रखता है. सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
12 शक्तिशाली योग आसनों का समन्वय है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार के अभ्यास से व्यक्ति का शरीर निरोग और स्वस्थ होता है. सूर्य नमस्कार स्त्री, पुरुष, बच्चे, युवा और वृद्धों के लिए काफी फायदेमंद है. यह 12 शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है. जो एक उत्तम कार्डियो-वॅस्क्युलर व्यायाम भी है.
सूर्य नमस्कार करने से मन और शरीर दोनों रहता है तंदुरुस्त
सूर्य नमस्कार मन और शरीर दोनों को तंदुरुस्त रखता है. साथ ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. यदि आपके पास समय की कमी है और आप चुस्त दुरुस्त रहने का कोई नुस्खा ढूँढ रहे हैं तो सूर्य नमस्कार उसका सबसे अच्छा विकल्प है.
सूर्य नमस्कार मंत्र
सूर्य नमस्कार में 12 मंत्र बोले जाते हैं. प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम लिया जाता है. हर मंत्र का एक ही सरल अर्थ है सूर्य को (मेरा) नमस्कार है. सूर्य नमस्कार के बारह स्थितियों या चरणों में इन 12 मंत्रों का उचारण जाता है. सबसे पहले सूर्य के लिए प्रार्थना और सबसे अंत में नमस्कार पूर्वक इसका महत्व बताते हुए एक श्लोक बोला जाता है.
ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती, नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः। केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्घृतशंखचक्रः॥
ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगाय नमः
ॐ पूष्णे नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ मरीचये नमः (वा, मरीचिने नमः- मरीचिन यह सूर्य का एक नाम है)
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। आयुः प्रज्ञा बलं वीर्य तेजस्तेषां च जायते ॥
इसे भी देखें :
सूर्य नमस्कार के 12 आसन :
- प्रणामासन (Pranamasana – The Prayer Pose)
- हस्तउत्तनासन (Hasta Uttanasana Raised Arms Pose)
- पादहस्तासन (Padahastasana- Standing Forward Bend)
- अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana Equestrian Pose)
- दंडासन (Dandasana Staff Pose)
- अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara Eight Limbed pose)
- भुजंगासन (Bhujangasana – Cobra Pose)
- पर्वत आसन (Parvatasana-Mountain pose)
- अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana Equestrian Pose)
- पादहस्तासन standing forward bend)
- हस्तउत्तनासन (Hasta Uttanasana Raised Arms Pose)
- प्रणामासन (Pranamasana The Prayer Pose)
सूर्य नमस्कार करने की विधि :
प्रणामासन
सूर्य की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हों और दोनों पैरों को मिलाए, कमर सीधी रखें. अब हाथों को सीने के पास लाये और दोनों हथेलियों को मिलाकर प्रणाम की अवस्था बनाएं.
हस्तउत्तनासन
सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर थोड़ा झुके. इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथ कानों से सटे हुए हों. हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर लेकर जाएं.
पादहस्तासन
अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले जाकर पृथ्वी को स्पर्श करें. इस समय आपका सिर घुटनों से मिला होना चाहिए.
अश्व संचालनासन
हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस ले और बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं और दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं. हाथों को जमीन पर पूरे पंजों को फैलाकर रखें. ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं.
दंडासन
श्वास को धीरे-धीरे बाहर की ओर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं. शरीर को एक सीध में रखे और हाथों पर जोर देकर इस अवस्था में रहें.
अष्टांग नमस्कार
श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दण्डवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर लगा दें. अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं और श्वास छोड़ दें.
भुजंगासन
इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधा करें. गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं. घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए और पैरों की उंगलियों को भी नीचे की तरफ दबाएं.
पर्वत आसन
श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें. कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं. शरीर को अपने V के आकार में बनाएं. कंधों को सीधा रखें और सिर को अंदर की तरफ रखें.
अश्व संचालनासन
श्वास लेते हुए बाएं पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएं, बाएं घुटने को जमीन पर रख सकते हैं. दृष्टि ऊपर की ओर रखें. कूल्हों को नीचे की तरफ ले जाने का प्रयास करें ताकि खिंचाव का अनुभव किया जा सके.
पादहस्तासन
अपने दाहिने पैर को आगे लाये. श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए शरीर को आगे की ओर झुकाएं. कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में लाएं और पृथ्वी का स्पर्श करें. ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों.
हस्तउत्तनासन
श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें और भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं.
प्रणामासन
धीरे-धीरे श्वास बाहर निककालते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं. अब दोनों हाथों को सीने के पास लाएं और दोनों हथेलियों को मिलाकर प्रणाम की अवस्था बनाएं.
सूर्य नमस्कार कब करें ?
सूर्य नमस्कार के आसन, हल्के व्यायाम और योगासनों के बीच की कड़ी की तरह है. इसे खाली पेट कभी भी किया जा सकता है. हालांकि सूर्य नमस्कार के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह मन और शरीर को ऊर्जान्वित कर तरो ताजा कर देता है.
यदि यह दोपहर में किया जाता है तो यह शरीर को तत्काल ऊर्जा से भर देता है. वहीं शाम को करने पर तनाव को कम करने में मदद करता है. यदि सूर्य नमस्कार तेज गति के साथ किया जाए तो बहुत अच्छा व्यायाम साबित हो सकता है. इससे वजन और मोटापे को भी घटाया जा सकता है.
सूर्य नमस्कार के लाभ
सूर्य नमस्कार से हृदय, यकृत, ऑत, पेट, छाती, गला, पैर शरीर के सभी अंगों के लिए बहुत से लाभ हैं. सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अंगो को बहुत लाभान्वित करता है. यही कारण है कि सभी योग विशेषज्ञ इसके अभ्यास पर विशेष बल देते हैं. सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर, मन और आत्मा सबल होते हैं. सूर्य नमस्कार के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक कई लाभ हैं.
पाचन तंत्र पर प्रभाव
सूर्य नमस्कार के आसन हमारे पेट के आतंरिक भाग को मजबूत बनाए रखने में सहायता करते हैं. यदि आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार कर रहे हैं तो आपका पाचन तंत्र मजबूत रहता है और पेट से संबंधित बीमारियां आपको नहीं होती हैं.
शरीर को डिटॉक्स करता है सूर्य नमस्कर
हमारा शरीर आये दिन के तनाव और जीवन शैली के बदलाव के कारण टॉक्सिंस इकठ्ठा करता रहता है. सूर्य नमस्कार का अभ्यास हमारे शरीर के अनचाहे विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने में हमारी मदद करता है.
मन की हर चिंता और तनाव को दूर रखता है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार न केवल हमें शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रखता है. बल्कि मानसिक रूप से भी चिंतामुक्त और तनावमुक्त बनाए रखता है. सूर्य नमस्कार के 12 आसन हमें दिन भर तरो-ताजा अनुभव करने में हमारी मदद करते हैं.
शरीर में लचीलापन
सूर्य नमस्कार 12 आसनों का एक व्यायाम है. अलग-अलग आसन, शरीर के अलग-अलग अंगों पर अपना प्रभाव डालते हैं. जब हम एक आसन से दूसरे आसन में जाते हैं तो व्यायाम की निरंतरता बनी रहती है और हमारे शरीर के सभी अंगों में लचीलापन और दृढ़ता आती है. अगर आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं तो आप पायेंगे कि आपके शरीर में अकड़न नहीं रहती और आप अपने आपको अधिक लचीला अनुभव करते हैं.
मासिक-धर्म नियमित करने में
नियमित सूर्य नमस्कार पेट के निचले हिस्से, नितंब, गर्भाशय (यूट्स) और अंडाशय (ओवरी) को स्वस्थ बनाता है. सूर्य नमस्कार मासिक धर्म की अनियमितता की समस्या को जड़ से दूर करता है.
रीढ़ की हड्डी होती है मजबूत
सूर्य नमस्कार से रीढ़ की हड्डी की निचले भाग से लेकर ऊपरी भाग तक पूरी रीढ़ की हड्डी का बढ़ियां व्यायाम होता है. इससे आपकी रीढ़ की हड्डी को लचीलापन और मजबूती दोनों मिलते हैं.
बच्चों में एकाग्रता बढ़ाता है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार मन शांत करता और एकाग्रता को बढ़ाता है. आजकल बच्चे प्रतिस्पर्धा का सामना करते हैं इसलिए उन्हें नित्यप्रति सूर्य नमस्कार करना चाहिए. क्योंकि इससे उनकी सहनशक्ति बढ़ती है. परीक्षा के दिनों की चिंता और असहजता कम होती है.
चक्रों पर प्रभाव
सूर्य नमस्कार के लगातार अभ्यास से मणिपुर चक्र विकसित होता है. जिससे व्यक्ति की रचनात्मकता और अंतर्ज्ञान बढ़ते हैं.
निष्कर्ष
प्रतिदिन सूर्य नमस्कर के अभ्यास से अपने मन, शरीर और आत्मा को प्रफुल्लित और तरो-ताजा रखकर अपने आस पास के परिवेश को स्वस्थ्य और खुशहाल बनाने की कोशिश करें. क्योंकि एक स्वस्थ्य व्यक्ति से ही स्वस्थ्य समाज का निर्माण होता है और स्वस्थ्य समाज ही देश के तरक्की में भागीदार होते हैं.
इसे भी पढ़ें – नहीं रहे हॉकी के महान खिलाड़ी चरणजीत सिंह, 1964 के टोक्यो ओलंपिक में दिलाया था स्वर्ण पदक