Ranchi : इन दिनों देश लोकसभा चुनाव के रंग में रंगा हुआ है. झारखंड में भी चुनावी समर चरम पर है. झारखंड में चार चरण में चुनाव होने हैं. पहले तीन चरण के नामांकन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है. झारखंड में होने वाले लोकसभा चुनाव में सास-दामाद की जोड़ी नजर आ रही है. दोनों पेशे से डॉक्टर हैं और अपने क्षेत्र में काफी नाम कमा चुके हैं. अब समाजसेवा के लिए राजनीति में उतर रहे है. हम बात करे रहे हैं डॉ अभिषेक कुमार सिंह और डॉ उषा सिंह की. डॉ अभिषेक ने चतरा से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन किया है. वहीं डॉ उषा गिरिडीह लोकसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरी हैं.
65 वर्षिय डॉ उषा सिंह पिछले 40 सालों से फुसरो में अपना निजी अस्पताल चला रही हैं. कोविड के दौरान उन्होंने अपने पति स्व डॉ रविन्द्र नाथ सिंह को खोने के बाद समाजसेवा में कदम रखा. इस दौरान उन्होंने बीजेपी का दामन थामा. लेकिन लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. नामांकन के दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें सुशासन दल का समर्थन प्राप्त है. गिरीडीह लोकसभा सभा क्षेत्र में सीसीएल, बीसीसीएल व तीन थर्मल पावर प्लांट होने के बाद भी यहां के युवा पलायन करने को विवश हैं. यहां के युवा दूसरे राज्यों में जाकर रोजी रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता बंद पड़ी खदानों को दोबारा चालू करवाकर युवाओं को यहीं रोजगार उपलब्ध कराना है. उच्च शिक्षण संस्थान, मेडिकल-इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने व स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने का भी वादा किया.
इसे भी पढ़ें –कौन है मंत्री आलमगीर के OSD संजीव, झारखंड के बाहर भी करोड़ों का निवेश, सारे कैश कमीशन के!
अनोखे प्रचार अभियान से आकर्षण का केंद्र बने डॉ. अभिषेक
जबकि 43 वर्षीय नेत्र सर्जन डॉ. अभिषेक कुमार सिंह चतरा लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भाग्य आजमा रहे हैं. एम्स दिल्ली के डॉक्टर रह चुके डॉ. अभिषेक सिंह अपने बेबाक अंदाज, सीधे सरल स्वभाव और अनोखे प्रचार अभियान के कारण आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. रांची में मीनाक्षी नेत्रालय के संचालक के रूप में लगभग 15 साल से सेवा दे रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों से चतरा संसदीय क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने और स्वास्थ्य को मुद्दा बनाकर आम लोगों के जीवन में स्वास्थ्य के महत्व और गरीब और जरूरतमंदों के जीवन को बदलने के लिए कार्य कर रहे हैं. वह बिना किसी तामझाम के संसदीय क्षेत्र के सुदूरवर्ती और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में जाकर स्वास्थ, चिकित्सीय परामर्श, अध्यात्म, विकास के अपने मॉडल की चर्चा करते हैं.
डॉ. अभिषेक को अपनी जीत का पूरा भरोसा है. उनका कहना है कि उनका मुकाबला किसी से नहीं है. कांग्रेस और बीजेपी की लड़ाई के बीच वे खुद के संसद पहुंचने की बात कर रहे हैं. कहा कि वे किसी तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं रहने की प्रतिज्ञा लेंगे, पैसे लेने का इल्जाम लगने पर तत्काल इस्तीफा देकर चतरा छोड़ जाने की बात भी कही. वे भारतीय अध्यात्मिक पार्टी नाम से एक राजनीतिक दल बनाकर अपने उम्मीदवारों को झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में उतारेंगे, ताकि उनके मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हो सके. अपनी पार्टी से टिकट देने से पहले उम्मीदवारों को एक कानूनी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करावाएंगे, ताकि निर्वाचित होने के बाद वे किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं करें.
इसे भी पढ़ें –सफेद दाढ़ी, लंबे बाल और मूंछ…नये लुक में नजर आये पूर्व सीएम हेमंत सोरेन