Gaurav Prakash
Hazaribagh: जिले में सुखाड़ की स्थिति बनती जा रही है. केंद्र सरकार ने हजारीबाग को सूखाग्रस्त घोषित किया है. अब राज्य सरकार क्या कदम उठाती है, इस पर पूरे राज्य वासियों की नजर है. सुखाड़ को देखते हुए अब कृषि विभाग और किसान भी वैकल्पिक तैयारी में जुट गए हैं कि किस तरह खेती की जाए और अपने खेत को अन्न से भरा जाए.
दरअसल हजारीबाग में जून में सामान्य औसत 194 मिमी के मुकाबले केवल 78.4 मिमी बारिश हुई है. जलाई में जिले में अब तक 80 मिमी बारिश हुई है. हजारीबाग कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां की 70% आबादी खेती पर ही निर्भर है. सूखे की स्थिति को देखते हुए जिला कृषि पदाधिकारी अब वैकल्पिक खेती की तैयारी में जुट गए हैं. यही नहीं किसान भी इस तैयारी में हैं कि कौन सी ऐसी खेती की जाए, जिससे खेत अनाज से भर सके. वैकल्पिक खेती की तैयारी को लेकर झारखंड के कृषि सचिव अबु बकर सिद्दीकी और कृषि निदेशक निशा उरांव ने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की है.
इस दौरान कृषि सचिव ने सुखाड़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए तैयारियों को तेज करने के लिए कहा है. साथ ही कहा है कि सभी जिलों के किसानों के बीच वैकल्पिक खेती का प्रचार-प्रसार किया जाए. 27 जुलाई को सभी प्रखंड के तकनीकी पदाधिकारियों को एक चिट्ठी भी जिला कृषि पदाधिकारी की ओर से दी गई है कि वह किसानों से फीडबैक ले और यह तय करे कि कौन सी वैकल्पिक खेती की जाए, ताकि अन्नदाता किसानों को राहत मिल सके. वहीं कटकमदाग प्रखंड के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक नकुल कुमार ने बताया कि उनलोगों ने 31 जुलाई को ही डेटा बनाकर भेज दिया है. इसमें बताया गया है कि किसान योजना बनाकर सुखाड़ को देखते हुए खेती कर सकते हैं. इसमें मडुवा, सरसों, मूंग, कुर्थी और ज्वार जैसे फसल की खेती की जा सकती है.
आत्मा कर रहा किसानों को जागरूक
झारखंड में जुलाई महीने तक मात्र 50 फीसदी बारिश हुई है. इसका असर धान की रोपाई पर पड़ा है. सुखाड़ की स्थिति से निपटने के लिए आत्मा (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी) भी इन दिनों किसानों को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है. आत्मा के पदाधिकारी अनुरंजन कुमार ने बताया कि हमलोग ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर किसानों को बता रहे हैं कि वह वैकल्पिक खेती की तैयारी करें. इनमें सरसों, मक्का, ज्वार और मड़ुवा कि खेती शामिल है. उनका कहना है कि वे लोग हजारीबाग की परिप्रेक्ष्य में किसानों को टमाटर की खेती लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. चूंकि हजारीबाग में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है और पानी भी इसमें कम लगता है. उनका कहना है कि 15 अगस्त तक वे लोग फिर से दूसरी बार ग्रामीण क्षेत्र में जाकर किसानों को जागरूक करेंगे. साथ ही किसानों को फसल राहत योजना की भी जानकारी देंगे.
बिचड़ा भी तैयार नहीं कर पाए किसान
कटकमदाग में खेती करने वाले किसान दिनेश गंझू बताते हैं कि वे लोग इस बार बिचड़ा भी तैयार नहीं कर पाए, तो खेती क्या करेंगे. मानसून ने उन लोगों को धोखा दिया है. अब किसान भगवान भरोसे ही हैं. उनका कहना है कि उनलोगों का खेत परती पड़ा हुआ है. इस कारण उनलोगों की सोच है कि यहां टमाटर की खेती करें. चूंकि इसमें पानी की जरूरत कम होती है और यह अच्छा मुनाफा भी देता है.
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