Dumka : घर से भागी जामा की रहने वाली एक 16 वर्षीय किशोरी को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने 6 फरवरी को उसके पिता के हवाले कर दिया. 4 फरवरी को किशोरी अपने घर से भागकर दुमका आई थी. यहां उसे बाल गृह में रखा गया. किशोरी को अभिभावक को सौंपे जाने के लिए 31 जनवरी को जामा के लगवन गांव में कैम्प कोर्ट का आयोजन किया गया था. कोर्ट ने किशोरी को किशोरी की बड़ी मां को सौंप दिया था. दुमका चाइल्ड लाइन की टीम मेंबर शांतिलता हेंब्रम ने उसे समिति के समक्ष प्रस्तुत किया. किशोरी ने समिति मेंबर के समक्ष बयान दिया कि उसके पिता बड़ी मां के साथ उसे लेने आए हैं, लेकिन दोनों उससे बातचीत नहीं कर रहे हैं. इसलिए वह अकेले रहने पसंद करेगी. समिति ने उसके पिता एवं बड़ी मां को सम्मन जारी कर दोबारा उसे बालिका गृह भेज दिया. 6 फऱवरी को किशोरी के पिता और बड़ी मां समिति के समक्ष हाजिर हुए. किशोरी को बालिका गृह से लाकर समिति के चेयरपर्सन डॉ. अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ. राजकुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला के समक्ष पेश किया गया.
समिति ने मामले की सुनवाई कर पिता को हिदायत दिया कि वह अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते. बेटी के प्रति यही रवैया रहा तो किशोर न्याय अधिनियम (बालकों का देखरेख एवं संरक्षण) 2015 की धारा 75 के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. इस धारा में तीन साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है.
बड़ी मां ने बयान दिया कि किशोरी घर में ठीक से रह रही थी. पिता के समझाने पर वह गलत अर्थ निकालकर घर से निकल गई. उसके पिता हरिद्वार के एक गुरूद्वारा में कार्यरत है. किशोरी का जन्म ननिहाल में हुआ था. चार साल पूर्व वह पिता के घर आई थी. फिर वह पिता के घर से निकल गई. वर्ष 2022 के दिसंबर माह में उसे बालिका गृह में होने की जानकारी पिता को मिली. इस बीच कैम्प कोर्ट ने किशोरी को उसकी बड़ी मां को सौंप दिया. पिता हरिद्वार से 4 फरवरी को घर आए तो किशोरी घर में थी. फिर वह उसी दिन दोपहर में घर से निकल गई. पिता ने समिति पदाधिकारियों के समक्ष यह बयान भी दिया कि वह किशोरी को लेकर घर में रहेंगे. हरिद्वार काम पर नहीं लौटेंगे. दुमका में ही मजदूरी कर जीवन-यापन करेंगे. किशोरी का नामांकन स्कूल में कराएंगे.
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