रुपम किशोर सिंह
Dumka : झामुमो का स्थापना दिवस 2 फरवरी को गांधी मैदान में झारखंड दिवस के रुप में मनाया गया. इस बार का स्थापना दिवस कई मायने में यादगार रहा. स्थापना दिवस समारोह में पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की जो भीड़ इस वर्ष उमड़ी थी वैसी भीड़ पूर्व में नहीं देखी गई. भीड़ को लेकर झामुमो के दुमका नगर अध्यक्ष रवि यादव ने बताया कि स्थानीय विधायक बसंत सोरेन का युवाओं में प्रभाव है. उनकी अगुवाई में युवा लगातार पार्टी से जुड़ रहे हैं. पार्टी के अन्य युवा विधायकों का भी प्रभाव युवाओं पर है. भीड़ को जुटाने में इन युवा विधायकों का खास योगदान रहा. युवा विधायकों में झामुमो के पूर्व दिग्गज नेता साइमन मरांडी के पुत्र दिनेश मरांडी लिट़्टीपाड़ा से विधायक हैं. शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन भी राजनीति में सक्रिय हैं. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता के पुत्र प्रशांत शेखर भोक्ता 200 गाड़ियों का काफिला लेकर समारोह में पहुंचे थे. काफिला लाकर उन्होंने राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. प्रशांत शेखर ने पहली बार समारोह को भी संबोधित किया. झामुमो के राजमहल सांसद विजय हांसदा भी युवा है. संथालपरगना प्रमंडल के दूर-दराज के इलाके से पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को लाने में इन युवा विधायकों और उदीयमान नेताओं का योगदान रहा.
समारोह में दिशोम गुरुजी शिबू सोरेन के भाषण सुनने के लिए कार्यकर्ता बेताब थे. कड़ाके की ठंड में कार्यकर्ता देर रात तक तब तक नहीं गए जब तक गुरुजी के भाषण को नहीं सुना. रात बारह बजे के बाद उन्होंने भाषण देना शुरू किया. अन्य साल की तुलना में इस बार उनका भाषण अलग रहा. विगत कई वर्ष समारोह में उन्हें नपे तुले में शब्दों में बोलते सुना गया. इस बार उन्होंने 15 मिनट तक भाषण दिया. संथाली भाषा में दिए भाषण में उन्होंने कहा कि हड़िया दारू पीना बंद करो और अपने बच्चों को पढ़ाओ. रात काफी हो चुकी है, ठंड भी बढ़ गया है. संघर्ष करने से अलग झारखंड राज्य बना. जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए इस राज्य का गठन किया गया. अलग राज्य बनने के बाद भी हमलोगों की स्थिति नहीं बदली. महाजनी आंदोलन को याद करते हुए शिबू सोरेन ने कहा कि सिद्हो कान्हो ने अंग्रेज महाजनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. हमलोगों ने दीकू महाजनों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा. महाजनी प्रथा तो खत्म हो गई, लेकिन आदिवासी अपने खेत-खलिहान छोड़कर मजदूरी करने पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल चले जाते हैं. यह अच्छी बात नहीं है. अपने हक और अधिकार के लिए लड़ना सीखो.
क्या है स्थापना दिवस का इतिहास
दुमका के एसपी कॉलेज मैदान में पहली बार 2 फरवरी 1977 को झामुमो का स्थापना दिवस मनाया गया. इसके बाद वर्ष 1978 में नेहरू पार्क में झरखण्ड दिवस मनाया गया. उसके बाद से हर वर्ष स्थापना दिवस गांधी मैदान में मनाया जाने लगा.
उल्लेखनीय है कि पार्टी के एक दिग्गज नेता लोबिन हेंब्रम झामुमो के बोरियो से विधायक हैं. वे इस समय बागावत के मूड में हैं. हेमंत सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते आ रहे हैं. उन्होंने अलग से एक मोर्चा भी बनाया है, जिसका नाम झारखंड बचाओ मोर्चा है. लोबिन हेंब्रम ने 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति को लेकर हेमंत सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने ऐलान किया कि 2 फरवरी को सिद्हो कान्हो की जन्म भूमि भोगनाडीह में कार्यक्रम आयोजित कर आंदोलन का बिगुल फूंका जाएगा. विरोध के बावजूद कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ जुटना इसे यादगार बना दिया.
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