Dumka : रानीश्वर प्रखंड के एक गांव में 14 वर्षीया नाबालिग आदिवासी लड़की की हत्या का मामला तूल पकड़ चुका है. पूर्व सीएम सह बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने मृतका के परिवार वालों से 4 सितंबर को गांव जाकर मुलाकात की. उन्होंने शोक-संतप्त परिवार को सांत्वना दिया तथा मामले की एनआईए (नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी) से जांच कराने की मांग की.
पत्रकारों के समक्ष बाबूलाल मरांडी ने दुमका पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए. कहा कि हेमंत सरकार और पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है. दुमका जिले में घटित दोनों नाबालिगों की हत्या मामले की जांच एनआईए से कराई जाए. यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल से सटा हुआ है. सीमावर्ती क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठिए आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं.
बाबूलाल ने कहा कि मृतका परिवार ने उन्हें बताया कि प्रशासन मामले को जल्द से जल्द निपटाने में लगा है. ग्रामीण सड़क जाम कर मुआवजे की मांग कर रहे थे. पुलिस ने ग्रामीणों से हाथापाई की. कुछ महिलाएं जख्मी हो गई. महिलाओं के शरीर पर जख्म के निशान हैं. रात में पीड़िता परिवार आदिवासी रीति-रिवाज से शव दफनाने की तैयारी कर रहे थे, जिला प्रशासन ने मौका नहीं दिया. प्रशासन ने खुद जेसीबी से 3 सितंबर की रात शव को दफना दिया.
बाबूलाल मरांडी ने आदिवासियों के साथ अत्याचार और अपराधियों को बचाने मामले में एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी की भूमिका को भी संदिग्ध बताया.
मृतका परिवार से मुलाकात करने जिला परिषद् अध्यक्ष जोएस बेसरा भी पहुंची थी. बेसरा ने पत्रकारों से कहा कि मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए. इस क्षेत्र में अशिक्षा और गरीबी है. मजबूर होकर नाबालिग आदिवासी लड़कियां परिवार के भरण-पोषण के लिए काम करती हैं. आदिवासी लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाया जाता है.
उल्लेखनीय है कि नाबालिग गर्भवती थी. उसकी हत्या कर शव पेड़ से लटका दिया गया. 3 सितंबर की रात स्थानीय सांसद सुनील सोरेन, पूर्व मंत्री लुईस मरांडी, जिले के डीसी व एसपी ने मृतका के परिवार वालों से मुलाकात की थी.
यह भी पढ़ें : दुमका : चिकनी चमेली गाना पर ठुमके लगाना शिकारीपाड़ा थानेदार को पड़ा महंगा, लाइन क्लोज