Amritsar : पंजाब के अमृतसर में सोमवार अहले सुबह भूकंप के झटके महसूस किये गये. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.1 मापी गयी. भूकंप सोमवार सुबह करीब 3.42 बजे आया. इससे पहले भी 12 नवंबर को दिल्ली-NCR, उत्तराखंड और पंजाब के कई इलाकों में भूकंप आया था. भूकंप आने के बाद डर से लोग घर और दफ्तरों से बाहर निकल गये थे. भारत में एक सप्ताह में चौथी या पांचवी बार भूकंप के झटके महसूस किये गये हैं. (पढ़ें, मुंबई एयरपोर्ट से 61 किलो सोना जब्त, जिसकी कीमत 32 करोड़ रुपये बतायी जा रही)
An earthquake of magnitude 4.1 occurred 145km west-northwest of Amritsar, Punjab, at around 3.42am, today. The depth of the earthquake was 120 km below the ground: National Center for Seismology pic.twitter.com/c565a76ndE
— ANI (@ANI) November 14, 2022
9 नवंबर को भी दिल्ली-यूपी समेत 7 राज्यों में हिली थी धरती
बता दें कि 9 नवंबर को देर रात दिल्ली-यूपी समेत 7 राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये थे. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 मापी गयी थी. भूकंप का केंद्र नेपाल था. दिल्ली एनसीआर सबसे अधिक भूकंप के झटके महसूस किये गये थे. इसकी तीव्रता 5.7 थी. इसके अलावा यूपी, बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कई शहरों में देर रात धरती हिली थी. वहीं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भी सुबह-सुबह करीब 6.27 बजे भूकंप आया था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 तीव्रता थी. हालांकि किसी भी तरीके के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था.
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नेपाल में भूकंप से हुई थी सबसे अधिक तबाही
नेपाल में सबसे अधिक भूकंप के झटके महसूस किये गये थे. क्योंकि भूकंप का केंद्र नेपाल था. भूकंप 9 नवंबर देर रात करीब 1.57 बजे आया. इसकी गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी. नेपाल में मंगलवार दो बार भूकंप के झटके महसूस किये गये. पहली बार में तीव्रता 4.9 और दूसरी बार में 3.5 थी. यहां भूकंप से सबसे ज्यादा अधिक तबाही हुई थी.नेपाल के दोती जिले में भूकंप से एक घर गिरने से 6 लोगों की मौत हो गयी थी. जबकि 5 लोग घायल हो गये थे.
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2015 में नेपाल में भूकंप से आयी थी तबाही
बता दें कि नेपाल में 25 अप्रैल 2015 को भूकंप से तबाही आयी थी. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 थी. इसका केंद्र नेपाल से 38 किलोमीटर दूर लामजुंग में था. इस विनाशकारी भूकंप में 9,000 से ज्यादा लोग मारे गये थे. जबकि 23,000 से ज्यादा घायल हुए थे. नेपाल में 81 साल बाद पहले 1934 में भी ऐसा ही भूकंप आया था. जिससे नेपाल में भारी जान माल का नुकसान हुआ था. इससे अलावा उत्तरी बिहार में 8.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 10,600 जानें गयी थीं.
प्लेटों के टकराने से आता है भूकंप
भू-विज्ञान के मुताबिक, पूरी धरती 12 टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. धरती के नीचे मौजूद ये प्लेटें बेहद धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं. हर साल 4-5 मिमी अपनी जगह से खिसक जाती हैं. इस दौरान कोई प्लेट किसी के नीचे से खिसक जाती है, तो कोई दूर हो जाती है. इस दौरान जब प्लेटें आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है. बीते करीब 100 वर्षों के दौरान हिमालयी क्षेत्र में 4 बड़े भूकंप आ चुके हैं. इनमें 1897 में शिलॉन्ग, 1905 में कांगड़ा, 1934 में बिहार-नेपाल और 1950 में असम में आए भूकंप शामिल हैं. उसके बाद 1991 में उत्तरकाशी, 1999 में चमोली और 2015 में नेपाल में भी भयानक भूकंप आया था.