LagatarDesk : दिल्ली-यूपी समेत 7 राज्यों में मंगलवार देर रात भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 मापी गयी. भूकंप का केंद्र नेपाल था. दिल्ली एनसीआर सबसे अधिक भूकंप के झटके महसूस किये गये. यहां इसकी तीव्रता 5.7 थी. इसके अलावा यूपी, बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कई शहरों में देर रात धरती हिली है. हालांकि भारत में किसी भी तरीके के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. वहीं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भी आज सुबह-सुबह करीब 6.27 बजे भूकंप आया है. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 तीव्रता रही. भूकंप का एपिक सेंटर जमीन से 5 किलोमीटर नीचे रहा. हालांकि अभी इलाके में जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. (पढ़ें, Breaking : ठाकुरगांव में संदेहास्पद स्थिति में एक ही परिवार के दो लोगों की मौत, दो की हालत गंभीर)
आज 9 नवंबर सुबह करीब 6.27 बजे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 4.3 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप की गहराई जमीन से 5 किमी नीचे थी: नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी#earthquake pic.twitter.com/GCIUeg8zPm
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 9, 2022
नेपाल में एक ही दिन में दो बार हिली धरती
बता दें कि नेपाल की धरती सबसे अधिक हिली है. क्योंकि भूकंप का केंद्र नेपाल था. भूकंप 9 नवंबर देर रात करीब 1.57 बजे आया. इसकी गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी. नेपाल में मंगलवार दो बार भूकंप के झटके महसूस किये गये. पहली बार में तीव्रता 4.9 और दूसरी बार में 3.5 थी. नेपाल के दोती जिले में भूकंप से एक घर गिरने से 6 लोगों की मौत हो गयी. मरने वालों में एक ही परिवार के 3 लोग शामिल हैं. जबकि 5 लोग घायल हो गये. भूकंप में घायल हुए लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. नेपाल की सेना ने भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव का काम शुरू किया है.
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2015 में नेपाल में भूकंप से आयी थी तबाही
बता दें कि नेपाल में 25 अप्रैल 2015 को भूकंप से तबाही आयी थी. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 थी. इसका केंद्र नेपाल से 38 किलोमीटर दूर लामजुंग में था. इस विनाशकारी भूकंप में 9,000 से ज्यादा लोग मारे गये थे. जबकि 23,000 से ज्यादा घायल हुए थे. नेपाल में 81 साल बाद पहले 1934 में भी ऐसा ही भूकंप आया था. जिससे नेपाल में भारी जान माल का नुकसान हुआ था. इससे अलावा उत्तरी बिहार में 8.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 10,600 जानें गयी थीं.
प्लेटों के टकराने से आता है भूकंप
भू-विज्ञान के मुताबिक, पूरी धरती 12 टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. धरती के नीचे मौजूद ये प्लेटें बेहद धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं. हर साल 4-5 मिमी अपनी जगह से खिसक जाती हैं. इस दौरान कोई प्लेट किसी के नीचे से खिसक जाती है, तो कोई दूर हो जाती है. इस दौरान जब प्लेटें आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है.
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