LagatarDesk:केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही का परिणाम घोषित किया. सितंबर तिमाही का यह आंकड़ा -7.5 फीसदी दर्ज किया गया. इससे पहले अप्रैल से जून में भी भारत की जीडीपी 24 फीसदी लुढ़क गयी थी. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की 2020 की आर्थिक स्थिति 2008 से भी बदतर है. माना जा रहा है कि 2008 से भी भयानक मंदी की ओर जा रहा है. सरकार ने भी आधिकारिक तौर पर इस मंदी को स्वीकार कर लिया है. लगातार दूसरी बार जीडीपी में कमी मंदी की दशा को दर्शाती है.
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पड़ोसी देशों की अर्थव्यवस्था में सुधार
अगर पड़ोसी देशों को देखें तो दूसरी तिमाही में जापान की जीडीपी -5.8 फीसदी दर्ज की गयी है, वहीं इटली -4.7, फ्रांस -4.3, जर्मनी -4 और यूएसए -2.9 फीसदी की जीडीपी दर्ज की है. इस आंकड़े से स्पष्ट है कि सबसे खराब स्थिति भारत की है. 2017 से लगातार भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट देखने को मिल रही है. इस मंदी से भारत को उबरने में 20 साल से भी अधिक समय भी लग सकता है.
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कोर सेक्टर के उत्पादन में कमी
कोर सेक्टर में विकास दर 2018 में 6.2 फीसदी और 2019 में 1.8 फीसदी थी. वहीं दूसरी ओर कोर सेक्टर उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 2.5 फीसदी की कमी देखने को मिली है. कोर सेक्टर औघोगिक उत्पादन के सूचकांक का 40.27 फीसदी हिस्सा हैं जो ये दर्शाता है कि कोर सेक्टर को भारत की अर्थव्यवस्था का बुनियाद माना जाता है.
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राजकोषीय घाटा बढ़ा
भारत का राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.53 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. जो कि बजट अनुमान का लगभग 120 फीसदी है. ज्यादा राजकोषीय घाटा का मतलब यह हुआ कि सरकार को ज्यादा उधारी की जरूरत पड़ेगी. राजकोषीय घाटा को आसान शब्दों में समझे तो सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कितना उधार लेने की जरूरत पड़ेगी. 2018-19 में यह लगभग 4 लाख करोड़ रुपये और 2019-20 में 7 लाख करोड़ के आसपास था. लगातार 2018 से 2020 तक राजकोषीय घाटा घटने के बजाय बढ़ ही जा रहा है.
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लगातार बढ़ती बेरोजगारी दर
भारत में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ती ही जा रही है. सितंबर 2020 में बेरोजगारी दर 6.67 फीसदी थी. अक्टूबर में यह आंकड़ा बढ़कर 6.89 हो गया और 22 नवबंर को समाप्त सप्ताह में ये आंकड़ा 7.8 फीसदी पर पहुंच गया. बेरोजगारी दर में वृद्धि आर्थिक संकट को दर्शाती है.
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विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार
20 नवंबर को भारत का मुद्रा भंडार 2.518 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 575.29 अरब डालर हो गया है. जो कि 30 अक्टूबर को 560.53 अरब डॉलर था. विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी भारत के लिए अच्छे संकेत है. देश में विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि कई कारणों से हो सकती है, जैसे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवक बढ़ रही है अर्थात देश का निर्यात बढ़ रहा है और दूसरी ओर आयात में कमी हो रही है.
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