LagatarDesk: कोरोना महामारी के दौरान खर्च काफी बढ़ गया है. खर्च की आपूर्ती करने के लिए सरकार टैक्स के अतिरिक्त प्रावधान ला सकती है. SBI की रिपोर्ट के अनुसार, अर्थशास्त्रियों ने सरकार को ऐसे कदम उठाने से बचने की सलाह दी है.
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नये टैक्स के जगह विवाद सुलझाने की सलाह
वित्त वर्ष 2018-19 तक लगभग 9.5 लाख करोड़ रु. के टैक्स को लेकर विवाद चल रहा था. इसमें कॉर्पोरेट टैक्स के 4.05 लाख करोड़ रुपए, इनकम टैक्स के 3.97 लाख करोड़ रु और कमोडिटी तथा सर्विस टैक्स के 1.54 लाख करोड़ रु शामिल हैं.
इस पर अर्थशास्त्रियों ने बजट में नये टैक्स नहीं लगाने की सलाह दी है. इस बात का पता तब चला, जब SBI ने अपनी रिपोर्ट जारी की. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार को टैक्स विवाद को सुलझाने पर ध्यान देना चाहिए.
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सरकार की फिस्कल डेफिसिट 7.4 फीसदी जाने की अंदेशा
सरकार का खर्च काफी बढ़ गया है. खर्च के बढ़ने से सरकार की फिस्कल डेफिसिट में भी वृद्धि हुई है. इसके साथ ही महामारी के कारण सरकार की रेवन्यू में भी कमी आयी है. बजट 2021 में रेवेन्यू का आकलन 3.2 लाख करोड़ रु कम रहने का अनुमान है. वहीं दूसरी ओर सरकार का खर्च 3.3 लाख करोड़ रु बढ़ने की उम्मीद है.
यही कारण है कि सरकार की फिस्कल डेफिसिट जीडीपी के 7.4 फीसदी तक पहुंच सकती है. यह आंकड़ा पिछले एक दशक में सबसे अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में सरकार का घाटा 14.46 लाख करोड़ रु तक पहुंच सकता है.
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GDP निर्धारित लक्ष्य से 30 लाख करोड़ रु रहेगा कम
चालू वित्त वर्ष में GDP 194.8 लाख करोड़ रु रहने का अनुमान है. जबकि बजट में सरकार ने अनुमान जताया था कि यह 224.9 लाख करोड़ रु पहुंच जायेगी. यह फिलहाल लक्ष्य से 30 लाख करोड़ रु कम रह सकता है. 2019-20 में GDP 204 लाख करोड़ रु था. अर्थात मार्च 2021 में GDP मार्च 2020 से भी कम होगी.
रियल GDP में 7.7% गिरावट का अनुमान
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में देश की रियल GDP में 7.7% गिरावट का अनुमान है. जबकि नॉमिनल GDP 4.2% फिसल सकती है. रियल जीडीपी में महंगाई को जोड़ने पर नॉमिनल जीडीपी निकलता है. बजट में इस वर्ष नॉमिनल GDP 10% बढ़ने का अनुमान लगाया था.