आर्मी की जिस जमीन को लेकर ED ने छापेमारी की, उसकी रजिस्ट्री फर्जी कागजात के सहारे जगतबंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर कर दी गयी थी.
Vinit Upadhyay
Ranchi: रांची के बरियातू रोड स्थित सेना की जिस जमीन के मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने शुक्रवार को रांची और कोलकाता में छापेमारी की है, उस जमीन को वर्ष 2019 में जयंत कर्नाड ने बेची थी. जमीन की रजिस्ट्री अलग-अलग लोगों के नाम से की गई थी. यह भूमि सेना को लीज पर दी गई थी. इस भूमि को खाली करने का आदेश भी कोर्ट ने दे दिया था. लेकिन इस बीच वर्ष 2021 में प्रदीप बागची नाम के एक शख्स ने कोलकाता के 1930 की एक रजिस्ट्री डीड दिखाते हुए यह दावा करता है कि जमीन उसकी है. प्रदीप बागची जिस सेल डीड के आधार पर इस ज़मीन पर अपना अधिकार बता रहा था, वह संदेहास्पद है. प्रदीप बागची ने इस जमीन की रजिस्ट्री जगतबंधु टी इस्टेट के नाम पर कर दी. जिसके बाद आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. पहली बार इस जमीन की रजिस्ट्री वर्ष 2019 में हुई थी. उस वक्त रांची जिला अवर निबंधक के पद पर राहुल कुमार चौबे थे. दूसरी बार जब प्रदीप बागची ने इस ज़मीन की रजिस्ट्री जगत बंधु टी इस्टेट के नाम पर की, उस वक्त जिला अवर निबंधक घासीराम पिंगुआ थे.
सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री के पूरे खेल का खुलासा दक्षिण छोटानागपुर के तत्कालीन आयुक्त नीतिन मदन कुलकर्णी की जांच रिपोर्ट में पहले ही हो चुकी है. रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि प्रदीप बागची नामक व्यक्ति ने फर्जी रैयत बनकर जगतबंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिलीप कुमार घोष को उक्त जमीन बेची थी. जमीन की खरीद-बिक्री के लिए रजिस्ट्री में प्रदीप बागची ने जिन होल्डिंग नंबर से संबंधित दो अलग-अलग दस्तावेज संलग्न (अटैच) किया था, वे जांच में फर्जी मिले थे. इसके बाद रांची नगर निगम की ओर से भी बरियातू थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. रांची नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने नगर आयुक्त के आदेश पर प्रदीप बागची के विरुद्ध जालसाजी से जमीन की रजिस्ट्री कराने की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदीप बागची ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, फर्जी पोजेशन लेटर दिखाकर दो-दो होल्डिंग ले लिया था. आयुक्त की जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि सेना के कब्जेवाली जमीन का असली रैयत जयंत कर्नाड ही है.
ईडी रेड के कारण टल गयी शादी, नहीं हुई 23 रजिस्ट्री
सेना की जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर ईडी की टीम कचहरी चौक स्थित मुख्य रजिस्ट्री ऑफिस के जिला सब रजिस्ट्रार वैभवमणि त्रिपाठी से उनके बरियातू रोड स्थित आवास में दिनभर पूछताछ करती रही. हालांकि, इस दौरान वैकल्पिक व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया. किसी अन्य सब रजिस्ट्रार को कचहरी ऑफिस का प्रभार नहीं दिया गया. इस वजह से ऑफिस तो समय से खुला, लेकिन शुक्रवार को सब रजिस्ट्रार के बिना कामकाज पूरी तरह ठप रहा. न तो एक भी रजिस्ट्री हुई और ना ही शादी का ही निबंधन हो पाया. नकल भी नहीं निकाला जा सका, जबकि शुक्रवार को 23 डीड की रजिस्ट्री के लिए पहले से रजिस्ट्रेशन हो चुका था.
शाम पांच बजे तक ऑफिस के कर्मी सब रजिस्ट्रार के आने का इंतजार करते रहे. जब वे नहीं आए, तो सारे अप्वाइंटमेंट रद्द कर दिये गए. वहीं, एक शादी भी तय थी, जो नहीं हो सकी. रजिस्ट्री व अन्य कामकाज के लिए ऑफिस पहुंचने वाले लोग मायूस हो लौट गए. ऑफिस के कर्मी लोगों को शनिवार को संपर्क करने की बात कहकर लौटा रहे थे. वहीं, कई लोग नकल निकालने के लिए भी परेशान दिखे. अमूमन सब रजिस्ट्रार के छुट्टी पर होने की स्थिति में किसी अन्य अधिकारी को ऑफिस का प्रभार दिया जाता है, ताकि किसी को लौटना न पड़े.
दिनभर आफिस में पसरा रहा सन्नाटा, मैच का आनंद उठा रहे थे कर्मी
सब रजिस्ट्रार के नहीं आने से दिनभर रजिस्ट्री ऑफिस में सन्नाटा पसरा रहा. कर्मी दिनभर खाली बैठे रहे. इस दौरान कई कर्मी क्रिकेट मैच का आनंद उठाने में व्यस्त दिखे. शाम साढ़े पांच बजे के बाद ऑफिस बंद कर अपने घर निकल गए.