Ranchi: झारखंड भीषण गर्मी की चपेट में है. गर्म हवाओं के थपेड़े और उमस ने लोगों को बेहाल कर रखा है, उपर से घंटों गुल हो रही बिजली और परेशानी बढ़ा रही है. सिर्फ राजधानी रांची में हर दिन 5 घंटे से ज्यादा लोड शेडिंग हो रही है. बिजली की डिमांड और सप्लाई में भारी अंतर होने, पावर प्लांटों को पर्याप्त कोयला आपूर्ति नहीं होने और बिजली की डिमांड बढ़ने से यह समस्या पैदा हो रही है. भीषण गर्मी पड़ने के कारण पंखे, फ्रीज, कूलर, एसी और अन्य उपकरण 24 घंटे उपयोग हो रहे हैं. इसलिए बिजली की मांग आम दिनों से 20 से 30 फीसदी ज्यादा बढ़ गई है. राज्य को औसतन 2100 मेगावाट बिजली की जरूरत है, लेकिन अभी डिमांड बढ़कर करीब 2500 मेगावाट पहुंच चुकी है, जबकि 1800 से 1900 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है. पीक ऑवर में जब बिजली की खपत ज्यादा हो रही है तब स्थिति संभालने के लिए नेशनल पॉवर एक्सचेंज से 12 से 15 रुपये यूनिट महंगी बिजली खरीदकर सप्लाई की जा रही है. फिर भी बिजली की किल्लत दूर नहीं हो पा रही है, इसलिए लोड शेडिंग बढ़ गई है.
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राज्य को कहां-कहां से मिल रही कितनी बिजली
झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) उपभोक्ताओं तक विभिन्न पावर प्लांटों से बिजली पहुंचा रही है. फिलहाल राज्य को डीवीसी से करीब 600 मेगावाट, एनटीपीसी से 490 मेगावाट, टीवीएनएल से 350 मेगावाट, सोलर पावर से 350 मेगावाट, आधुनिक पावर से 190 मेगावाट, इनलैंड पावर से 55 मेगावाट, एनएचपीसी से 40 मेगावाट बिजली मिल रही है. वहीं करीब 1000 सरकारी दफ्तर अपने छतों में लगे सोलर पैनल से बिजली की जरूरत को पूरा कर रहे हैं. कई बार पावर प्लांटों से उत्पादन ठप होने की वजह से स्थिति गड़बड़ा जाती है और बिजली के लिए हाहाकार मच जाता है.
सोलर और विंड एनर्जी से राहत देने की कोशिश
उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) द्वारा विंड पावर से उत्पादित बिजली भी दी जा रही है. झारखंड को राजस्थान से दिन के वक्त 250 मेगावाट सोलर और विंड एनर्जी गर्मी में थोड़ी ठंडक पहुंचा रही है, लेकिन शाम में दोनों से पावर सप्लाई बंद होने के बाद राज्य की निर्भरता कोयला आधारित बिजली पर शिफ्ट हो जा रही है.
कोयला आपूर्ति बाधित होने से बिजली उत्पादन पर असर
अंतर्राष्ट्रीय कारणों से देश में इंपोर्ट होने वाला कोयला फिलहाल बंद सा हो गया है. इसके कारण बिजली उत्पादन के लिए पूरी निर्भरता देश के कोयले पर टिक गयी है. कोल इंडिया और दूसरी कोयला उत्पादन कंपनियां देश के पावर प्लांटों में कोयले की आपूर्ति कर रही हैं. कोल इंडिया और सीसीएल कोयले की आपूर्ति अन्य राज्यों को करा रही है, लेकिन झारखंड को निर्बाध कोयला आपूर्ति नहीं हो पा रही है. सीसीएल को हर महीने 500 करोड़ का भुगतान होने के बावजूद टीवीएनएल को प्रतिदिन दो रैक कोयला नहीं मिल रहा है. जिसके कारण टीवीएनएल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है.