Ranchi : झारखंड में बिजली की किल्लत खत्म नहीं हो रही है. जरूरत से 50 फीसदी कम बिजली मिलने से राजधानी के अलग-अलग इलाकों में 3 से 9 घंटे तक लोड शेडिंग की जा रही है. शहरी इलाकों को भी 19-20 घंटे ही बिजली मिल रही है. रांची जिले में नियमित बिजली आपूर्ति के लिए कम से कम 40 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है, जबकि जिले को 15 से 20 मेगावाट ही बिजली मिल रही है. स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से ही बिजली कटौती के कारण लोड शेडिंग करना पड़ रहा है. लोड शेडिंग की वजह से ट्रांसफर्मरों पर भी असर पड़ रहा है. वहीं सेंट्रल पुल और अन्य एजेंसियों से भी राज्य के मांग के अनुसार बिजली नहीं मिल रही है. इस वजह से ज्यादातर जिलों में लगातार लोड शेडिंग हो रही है.
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डीवीसी कमांड एरिया में 50 दिन से बिजली किल्लत
उधर डीवीसी कमांड एरिया में 50 दिनों से बिजली का संकट गहराया हुआ है. डीवीसी अपने कमांड एरिया के सात जिलों में 10 से 17 घंटे तक बिजली कट रहा है. शहरों में तो किसी तरह 14-15 घंटे बिजली मिल रहा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में 16 से 17 घंटे बिजली कट रही है. झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) पर बकाया 2173 करोड़ भुगतान का दबाव बनाने के लिए डीवीसी पिछले दो महीने से बिजली कटौती कर रहा है. वहीं इसे लेकर डीवीसी कमांड एरिया में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्र के विधायकों ने भी विधानसभा में मामले को उठाया, लेकिन इसपर कोई फैसला नहीं हुआ.
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सेंट्रल पुल से कम मिल रही बिजली, राज्य में उत्पादन कम
ऊर्जा विभाग के मुताबिक बिजली कटौती का कारण सेंट्रल पुल से मिलने वाली बिजली में कमी है. राज्य को सेंट्रल पुल से लगभग 700 मेगावाट बिजली मिलती है. इसमें 60 मेगावाट तक की कमी हुई है. वहीं डीवीसी कमांड एरिया में 6 नवंबर से 50 फीसदी बिजली कटौती जारी है. गौरतलब है कि झारखंड को प्रतिदिन 2200 मेगावाट बिजली की जरूरत है. राज्य अपने संसाधनों से करीब 400 मेगावाट बिजली ही उत्पादित कर पा रहा है. झारखंड के सिकीदिरी जल परियोजना में बिजली उत्पादन की क्षमता 2X65 मेगावाट और तेनुघाट ताप विद्युत घर की क्षमता 2X210 मेगावाट है. वहीं पतरातू में 800 मेगावाट के तीन विद्युत संयंत्र की स्थापना हो रही है. पहली यूनिट का संचालन 2023-24 में संभावित है. ऐसे में राज्य को 800 मेगावाट बिजली मिलने में कम से कम डेढ़ से 2 साल लगेंगे.
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