गढ़वा में एक घंटा घर बन रहा है. सुना है एक माननीय अपने स्वर्गीय पिताजी के नाम पर इस घंटा घर का निर्माण करा रहे हैं. भूमि पूजन भी करा लिया है. वैसे तो गढ़वा जिला गढ़देवी और भगवान वंशीधर के मंदिर के लिए मशहूर है, माननीय की सोच है कि आनेवाले समय में इस घंटा घर से शहर की पहचान बनेगी और माननीय के पिताजी का नाम भी अजर-अमर होगा. बहरहाल गढ़वा में दबी जुबान लोग यह कह रहे हैं कि माननीय अपने क्षेत्र को और कुछ दें या नहीं “घंटा” तो दे ही रहे हैं.
सरकारी काम समझकर पीने का गर्व भी गया
खबर है कि सरकार अब शराब नहीं बेचेगी. वैसे भी सरकार का काम शराब बेचना नहीं है. लेकिन पिछली सरकार के एक मुखिया जी थे. उन्होंने सोचा कि लोग बैठे-बैठे कुछ काम तो करते हैं नहीं, क्यों न उन्हें सरकारी कामकाज से जोड़ दिया जाये. इस नाते उन्होंने एक योजना बनायी. उन्होंने तय किया कि सरकार शराब बेचेगी. और गली-गली सरकारी देसी-विदेशी शराब की ठेके खुल गये. जनता सरकारी दुकानों से शराब खरीदकर पीने लगी, तो पियकड्ड़ी सरकारी काम बन गया. लोगबाग बड़े गर्व से कहते कि हम तो सरकारी काम कर रहे हैं. खबरदार जो हमें पीने से रोका. इसे सरकारी काम में बाधा समझा जायेगा. लेकिन अब इस सरकार ने तय किया है कि वह शराब नहीं बेचेगी, तो अब वैसे लोगों का क्या होगा, जो इसे गर्व के साथ सरकारी काम बताते थे.
पावर-पावर की बात है
केंद्र में मोदीजी की सरकार है तो गैर भाजपा शासित राज्यों में अकसर राज्यपालों और राज्य सरकारों में किसी न किसी बात को लेकर ठनी ही रहती है. बंगाल में ममता बनर्जी और राज्यपाल का पंगा अकसर सुर्खियां बटोरता है. वैसे तो झारखंड में लाट साहिबा से सरकार बहादुर को कोई खास शिकायत नहीं है, लेकिन पिछले दिनों जब जनजातीय सलाहकार परिषद के तीन सदस्यों के मनोनयन की फाइल राजभवन से दो बार लौटी तो, सरकार की भवें तनीं. कैबिनेट बैठक में परिषद के सदस्यों के मनोनयन का अधिकार राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री को दे दिया गया. इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया. लोग कह रहे हैं कि पावर-पावर की बात है. वैसे नोटिफिकेशन में तो लिखा है कि राज्यपाल के आदेश से ही यह किया गया है, लेकिन जाहिर है कि राजभवन को यह पसंद नहीं आया होगा. अब आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा.
भगवा पर भारी जल-जंगल पार्टी का अकेला योद्धा
महाभारत की कथा याद होगी आपको. युद्ध के पहले दुर्योधन के पास विकल्प था कि वह भगवान श्रीकृष्ण और उनकी अठारह अक्षौहिणी सेना में किसी एक को चुन ले. उसने सेना चुनी और पांडवों को कृष्ण मिले, जो अकेले ही कौरवों के विनाश का कारण बन गये. ऐसे ही झारखंड में भगवा पार्टी के प्रवक्ताओं और दिग्गजों की फौज पर जल-जंगल वाली पार्टी के एक योद्धा भारी पड़े हुए. हर रोज वह प्रेस कांफ्रेंस करके भगवा दल पर आरोपों के नये-नये तीरों की बरसात करते हैं और भगवा पार्टी के तमाम प्रवक्ता और बड़े नेता उनके तीरों से बचाव करने में ही परेशान हैं.