LagatarDesk : चैत्र नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. आज नवरात्रि का सांतवा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि दुष्टों और शत्रुओं का विनाश करती हैं.
रातरानी का पुष्प चढ़ाने से मां होती हैं प्रसन्न
मान्याताओं के अनुसार, मां कालरात्रि को रातरानी का पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है. माता को लाल रंग बहुत प्रिय है. इसलिए पूजा के समय लाल रंग का गुलाब या गुड़हल अर्पित करना चाहिए. मां को गुड़ अत्यधिक प्रिय होता है. इसलिए उन्हें गुड़ का भोग का लगाना चाहिए. ऐसा करने से बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
ऐसा है मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि का रंग भगवान कृष्ण जैसा है. इनके रंग के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. मां के बाल लंबे और बिखरे हुए होते हैं. मां के गले में माला है जो बिजली की तरह चमकती रहती है. उनके एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे लौह शस्त्र, तीसरे हाथ में वरमुद्रा और चौथा हाथ अभय मुद्रा में हैं. मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है.
मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र
‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:’
मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥ दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥ पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥ खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥ कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥ सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥ रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥ ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥ उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली माँ जिसे बचाबे॥ तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥
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