सीएम सचिवालय पहुंची शिकायत, दो माह में ही जल गया लाखों का पंप
Ranchi: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में कमीशन के लिए इंजीनियर कुछ भी कर सकते हैं. तभी तो विभाग के आधा दर्जन से ज्यादा इंजीनियर घूस लेते एसीबी के हत्थे चढ़ चुके हैं. पेयजल विभाग में शुद्ध पानी पीलाने के नाम पर इंजीनियर करोड़ों के वारे न्यारे करते हैं. गुणवक्ता से ज्यादा स्वार्थ सिद्धी वाली योजनाओं पर इंजीनियर ज्यादा काम करते हैं. तभी तो लाखों रूपए के मोटर पंप दो माह में ही खराब हो जा रहे हैं. दो माह में ही करीब दो करोड़ के दो मोटर पंप कैसे खराब हो गया ? इस सवाल का जवाब किसी भी इंजीनियर के पास नहीं है. किस खामी की वजह से मोटर पंप जल रहे है, इसका भी पता लगाने में इंजीनियर फेल हो गए हैं, मगर भुगतान कर कमिशन वसूलने में इंजीनियर पास हो गए, तभी तो 120 एचपी की जगह इंजीनियरों ने 150 एचपी का मोटर पंप लगा दिया. पुगू नदी पर बने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में 14 लाख का मोटर पंप एक माह माह में ही खराब हो गया. उसका साफ्ट टूट गया.
सीएम तक पहुंची शिकायत, विशेष टीम कर रही जांच
पेयजल विभाग के मैकेनिकल विंग द्वारा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में मोटर और बिजली आदि से संबंधित कार्य देखा जाता है. गुमला स्थित नागफेनी जलापूर्ति योजना और करमडीपा वाटर प्लांट में करीब 40 लाख की लागत से दो मोटर पंप लगाए गए थे. मोटर पंप कुछ ही दिनों में खबरा हो गया. गुमला शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति बाधित हो गई है. तब उन्हीं इंजीनियरों ने पुराने मोटर को लगा कर जलापूर्ति का काम शुरू किया. देखिए, जब पुराना मोटर काम कर रहा था, तब इंजीनियरों ने नया मोटर क्यों खरीदा? और फिर मोटर पंप की खरीदारी कर रहे है. मोटर पंप की खरीदारी के लिए करीब 50 लाख रुपए का एलॉटमेंट भी मिल गया है. मैकेनिकल विंग के इंजीनियर कमिशन के लिए मोटर की खरीद कर रहे है. पूर्व में भी घटिया क्वालिटी के मोटर पंप सहित मशीनों की खरीदारी की गई, जिससे मोटर पंप जल गया. यह शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंची. उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिया. जिसके बाद जिला प्रशासन की विदेश टीम मोटर जलाने और मैकेनिकल विंग द्वारा किए गए खरीदारी की जांच करेगा. पेयजल मंत्री मिथलेश ठाकुर ने भी मामले पर संज्ञान लिया है. उन्होंने मैकेनिकल विंग के इंजीनियरों से मोटर पंप जलने के मामले में जानकारी मांगी है.
कुछ ही माह में बढ गया 12 लाख बजट
पेयजल मैकेनिकल विभाग द्वारा करीब 50 लाख की लागत से पुन: मोटर पंप आदि की खरीदारी होनी है. आशंका जताई जा रही है कि जिम्मेवार पूर्व की तरह ही घटिया सामग्री की खरीदारी करेंगे. पूर्व में भी 32 लाख में दो मोटर पंप मशीन की खरीदारी कर इंस्टॉल किया गया था, जो कुछ ही दिनों में खराब हो गया. वह भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में जंग खा रहा है. मैकेनिकल विंग नागफेनी और करमडीपा वाटर ट्रिटमेंट प्लांट के लिए मोटर पंप मशीन की खरीदारी करेगा. इस खरीदारी पर 45 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे. सीएम को लिखे पत्र में कहा गया है कि इंजीनियर कमीशन की लालच में घटिया क्वालिटी वाले मोटर पंप आदि की खरीदारी करते हैं. जिससे दो माह ही मोटर पंप जल जाता है. मोटर पंप अच्छी क्वालिटी के लगाए जाएं, जिससे मशीन खराब न हो.
नागफेनी में 120 एचपी वीटी मोटर वाटर पंप लगना है, जिसकी कीमत 30 लाख रुपए है. करमडीपा प्लांट में 75 किलो वाटर का सेंटीक्यूबल वाटर पंप लगना है, जिसकी खरीदारी 15 लाख रुपए में होनी है. मैकेनिकल विंग ने खरीदारी के लिए प्रकिया शुरू कर दिया है. मजेदार बात है कि कुछ ही माह पहले जिन मशीनों की खरीदारी 31 लाख में हुई थी, अब उन मशीनों की खरीदारी 43 लाख में होगी. कुछ ही माह में मोटर पंप खरीदारी में 12 लाख की बढोत्तरी हो गई. शिकायत करने वाले ने बताया कि यह बढोत्तरी मैकेनिकल विंग के इंजीनियरों ने ज्यादा कमीशन के लिए किया है, जो जांच का विषय है.