चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल दान 7,230 करोड़ रुपये पहुंच गया है. केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2017-2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की गयी थी
NewDelhi : पिछले एक साल से देश कोरोना संकट झेल रहा है. आम आदमी हलकान है. रोजाना सैकडों की मौत हो रही है. इसी बीच चुनाव भी हुए. खबर है कि इस कोरोना काल में भी राजनीतिक दलों की झोली चुनाव के समय नोटों से भर गयी. बता दें कि एसबीआई ने जानकारी दी है कि चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हुए चुनाव में राजनीतिक दलों को दान के रूप में 695.34 करोड़ रूपये मिले हैं. यह राशि इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में मिली है, जिसे दानदाताओं ने एसबीआई से खरीदा है.
बैंक ने इस साल 1 अप्रैल से 10 अप्रैल तक 16 वीं फेज में बॉन्ड बेचे थे.
नौसेना के एक सेवानिवृत्त उच्चाधिकारी लोकेश के बत्रा द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब में एसबीआई ने यह जानकारी दी है. बैंक ने इस साल 1 अप्रैल से 10 अप्रैल तक 16 वीं फेज में बॉन्ड बेचे थे. कुल बिक्री में 671 करोड़ रुपये एक करोड़ रुपये के मूल्य के बॉन्ड से. 23.70 करोड़ 10 लाख रुपये के मूल्य के और 64 लाख रुपये एक लाख रुपये के मूल्य के बॉन्ड शामिल हैं. जान लें कि वर्तमान में केरल, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुदुचेरी विधानसभाओं के लिए चुनाव की प्रक्रिया जारी है,
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अक्टूबर में 282 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे गये थे.
एसबीआई ने 1 जनवरी से 10 जनवरी, 2021 तक बिक्री के 15 वें चरण में 42.10 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे थे. एसबीआई ने द इंडियन एक्सप्रेस को पिछले आरटीआई के जवाब में कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अक्टूबर में 282 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे गये थे. कॉरर्पोरेट घरानों और उद्योगपति दानदाताओं ने 2018 में 1,056.73 करोड़ रुपये, 2019 में 5,071.99 करोड़ और 2020 में 363.96 करोड़ रुपये दिये थे.
कुल दान 7,230 करोड़ रुपये पहुंच गया है
जान लें कि चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल दान 7,230 करोड़ रुपये पहुंच गया है. केंद्र सरकार द्वारा देश के राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए वित्त वर्ष 2017-2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की गयी थी. इलेक्टोरल बॉन्ड से एक ऐसा बॉन्ड से है जिस पर एक करंसी नोट की तरह उसकी वैल्यू या मूल्य लिखा होता है. चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड का उपयोग व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठन द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजनीतिक दलों की फंडिंग और कथित तौर पर पारदर्शिता की कमी के कारण इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर एनजीओ द्वारा दायर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी थी.