Ranchi : एवरेस्ट बेस कैंप यात्रा के तहत पर्वतारोही के एक दल ने एवरेस्ट की 5,364 मीटर की ऊंचाई को छुआ है. छह मई से शुरू हुई यात्रा 14 मई को अपनी मंजिल पर पहुंच गई. इस दल में 34 लोग शामिल थे. यह यात्रा भारत के विभिन्न हिस्सों से आए सदस्यों और 7 समिट्स, 7 वोल्केनिक समिट्स, और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक, प्रसिद्ध पर्वतारोही सत्यरूप सिद्धांत के नेतृत्व में की गई. इस संयुक्त प्रयास का आयोजन सत्यरूप सिद्धांत और आइडिएट इंस्पायर इग्नाइट फाउंडेशन के संस्थापक, राजीव गुप्ता द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य समुदायों को कई पर्वत यात्राओं के माध्यम से सशक्त बनाना है.
दल ने साझा किये अपने अनुभव
पर्वतारोही दल ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि इसे “स्वर्ग के कदम” कहने का एक अच्छा कारण है. दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत के बेस कैंप की यात्रा हर पर्वत प्रेमी की बकेट लिस्ट में होती है. यहां का दृश्य अत्यंत मनमोहक है. ऐसा अद्वितीय है जो आपने पहले कभी नहीं देखा होगा – जैसे-जैसे आप ऊंचाई पर चढ़ते हैं, यह हरा-भरा खेत, घने जंगल, और चमकती नीली तेज़ बहती नदियों से लेकर बंजर भूमि और ग्लेशियल पूल में बदलता जाता है. बेस कैंप तक पहुंचना एक योद्धा की विजय जैसा लगता है. जब आप अंतिम चढ़ाई के शीर्ष पर पहुंचते हैं, ढीले पत्थरों पर लड़खड़ाते हुए और सफेद कैनवास पर पहुंचते हैं, तो आप बैठकर अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक की प्रशंसा करेंगे. एवरेस्ट क्षेत्र एक शक्तिशाली और जादुई जगह है, जो व्यक्तिगत परिवर्तन को बढ़ावा देती है.
चुनौतियों का भी किया जिक्र
दल ने यात्रा के दौरान आनेवाली चुनौतियों को भी साझा किया. कहा कि पहले दिन हमें भारी ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा, दैनिक ट्रैक के दौरान उच्च ऊंचाई, कम ऑक्सीजन स्तर के कारण ऑक्सीजन की कमी, पूरे दिन की ट्रेकिंग से तीव्र थकान और कई अनिश्चितताएं थीं. यात्रा ने मुझे अनमोल सबक भी सिखाए, जिसमें अनुशासन, दृढ़ संकल्प, लचीलापन, साहस, आत्मविश्वास, करुणा, और जुनून शामिल रहा.
इसे भी पढ़ें : बोकारो में गरजे राजनाथ सिंह, कहा- कलेजे में दम है तो जनता की आंखों में आंखे डालकर राजनीति करो