Gaurav Prakash
Hazaribagh: ऐतिहासिक लगभग 600 साल पुराना नरसिंह मंदिर में हर कार्तिक पूर्णिमा में मेला का आयोजन होता आ रहा है. लेकिन इस वर्ष चंद्रग्रहण के कारण यह परंपरा टूट जाएगी और मेला का आयोजन नहीं होगा. यहां तक कि मंदिर में पूजा अर्चना भी नहीं होगी. यह मंदिर झारखंड बिहार का एकलौता नरसिंह मंदिर है. यहां दूरदराज से लोग पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. खास करके कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारीबाग और इसके आसपास के जिले के लोग पहुंचते हैं.
सुबह से लेकर देर रात तक मेला चलता है. इस मेले की खासियत यह है कि यहां किसान ईख बाजार लगाते हैं. इस कारण भी इसे केतारी मेला कहा जाता है. गेंदा फूल की बिक्री यहां बड़े पैमाने पर होती है. इस कारण हजारीबाग और इसके आसपास के किसान बड़े पैमाने पर ईख लेकर आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में आए और ईख नहीं ले, उसका आना सफल नहीं माना जाता है. ईख भगवान को प्रसाद स्वरूप चढ़ता भी है. इस कारण किसान भी इस बार दुखी हैं कि मेले में ईख ही नहीं बेच पाएंगे तो दूसरी ओर गेंदा फूल के व्यवसायी भी उदास हैं.
भगवान विष्णु के दशावतार की होती है पूजा
मंदिर के मुख्य पुजारी उपेंद्र मिश्रा ने बताया कि चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा और शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. यानी करीब 50 मिनट ग्रहण का असर रहेगा. ग्रहण का सूतक काल सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू हो जाएगा. सूतक लगने के पहले मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा की पूजा 7 नवंबर को ही कर ली जाएगी. उन्होंने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भगवान नरसिंह मंदिर परिसर में विष्णु के दसों अवतार की पूजा की जाती है. भगवान विष्णु के सभी दशावतार की प्रतिमाएं यहां स्थापित हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी उपेंद्र मिश्रा ने बताया कि एक दिन पूर्व 7 नवंबर को ही पूजा अर्चना की जाएगी. इसकी तैयारी भी चल रही है. पूरे मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है. लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि 8 नवंबर को कोई भी भक्त बाबा का दर्शन नहीं कर पाएंगे. वहीं मेला का आयोजन परिसर के आसपास नहीं होगा.
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