Ranchi : किसान और श्रम विरोधी कानूनों के खिलाफ राज्य में विरोध प्रदर्शन किया गया. विरोध प्रदर्शन राज्य के किसान और श्रमिक यूनियनों की ओर से किया गया. केंद्रीय किसान संगठनों और श्रम यूनियनों की ओर से देश भर में इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया था. जिसे किसान मजदूर काला दिवस नाम दिया गया. इस दौरान राज्य के लगभग एक लाख स्थानों में विरोध प्रदर्शन किया गया. जिसमें कुछ लोगों ने सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए घर में विरोध प्रदर्शन किया. वहीं कुछ कार्यास्थलों, खनन क्षेत्र, निजी कार्यालयों, सीसीएल और सीएमपीडीआई के आवासीय परिसरों, एचईसी कालोनी, मेकॉन में भी विरोध प्रदर्शन किया गया. सीटू के राज्य महासचिव प्रकाश विप्लव ने बताया कि इस दौरान लगभग एक लाख जगहों में प्रदर्शन किये गये. जिसमें से दस लाख से अधिक लोगों ने अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन का समर्थन किया. इन्होंने बताया कि राज्य के सभी जिलों में प्रदर्शन हुआ. इस दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दिशा निर्देशों का पालन किया गया.
किसान आंदोलन का समर्थन
झारखंड राज्य किसान सभा के महासचिव सुरजीत सिन्हा ने बताया कि दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के विरोध को छह महीने हो गये. वहीं मोदी सरकार के भी तीन साल हो गये. ऐसे में सरकार ने इन सात सालों में कई जन विरोधी कानून लाए. जिसमें कृषि कानून, बिजली संशोधन विधेयक समेत कई बिल हैं. सरकार इन कानूनों को वापस भी नहीं ले रही. ऐसे में जरूरी है कि जन एकता के साथ इसका विरोध किया जाये. इन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्रीय स्तर पर 26 मई को काला दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.
सरकार से की गयी मांग
इस दौरान केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने, चार श्रम संहिता रद्द करने, सभी नागरिकों को टीका दिये जाने की गारंटी करने, जो लोग आयकरदाता नहीं हैं, उनके एकाउंट मे अगले छह माह तक 7500 रुपये ट्रांसफर करने, सभी जरूरतमंदों को प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज निरूशुल्क दिये जाने समेत अन्य मांग की गयी. इस प्रदर्शन में किसान और मजदूर के अलावा छात्र, लेखक और संस्कृतिक कर्मियों ने भी अपना समर्थन दिया.
इसे भी पढ़ें –पंचायत का तुगलकी फरमान, विधवा को किया घर से बाहर, एक लाख रुपये की मांग