Pravin Kumar
Ranchi: धान की फसल खलियान से सीधा व्यापारियों के हाथ औने-पौने दाम में चली जा रही है. अच्छी मॉनसून होने की वजह से इस वर्ष धान की उपज पिछले साल की तुलना में अधिक हुई है. जिसका खमियाजा किसानों को भुगताना पड़ रहा है. पिछले साल जहां खुले बाजार में किसानों को धान का प्रतिकिलो 13 से 15 रूपया मिला था. वहीं इस साल धान की खरीद 10 से 12 रुपये प्रति किलो व्यापारी और जमाखोर खरीद कर रहे है. किसानों को उनकी उपज का सूबे में उचित मूल्य नही मिल पा रहा. हालांकि सरकार ने धान खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2050 रूपये क्विंटल किया है. लेकिन जब तक सरकारी धान की क्रय केन्द्र का नेता और अधिकारी उद्घाटन में लगे है उससे पहले ही व्यापारी धान की फसल को किसानों से खरीद रहे हैं. राज्य में 385 के करीब धान खरीद केन्द्र बनाया गया है.
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रांची जिले में 23 धान प्राप्ति केन्द्र बनाये गये है. सूबे में कुल 385 धान खरीद केंद्र बनाये गये हैं. राज्य में लैंप्स के माध्यम धान खरीद जेएफसी करती है. लेकिन लैंप्स संचलकों का कहना है झारखंड स्टेट फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लैंप्स के माध्यम से 2011 से ही धान की खरीद कर रहा है. लेकिन लैंप्स संचालकों को मिलने वाला प्रति क्विंटल 31 रुपये का कमीशन का भुगतान नहीं होने की वजह से सूबे में धान खरीद प्रभावित हो रही है. जिसके कारण किसानों को उनके पैदावर का सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य भी नही मिल पा रहा है.
क्या कहते है लैंप्स संचालक
दुमका जिला के मसलिया प्रखंड के गमरिया पंचायत के लैंप्स संचालक प्रवीण कुमार भगत कहते हैं कि सूबे में करीब चार हजार से अधिक लैप्स है लेकिन सभी लैंप्स में धान की खरीद नही किया जाता जिसका फायदा व्यापारी उठा रहे है. गमरिया लैंप्स के द्वारा 2011 से धान की खरीद किया जाता रहा है लेकिन झारखंड स्टेट फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने अब तक कमीशन की राशि लैंप्स को भुगतान नही किया है. दुमका में कुल 21 धान खरीद केन्द्र है जो लैंप्स के माध्यम से किया जा रहा है.
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जिला के रनिगगर पंचायत के लैम्स संचालक कहते है औसतन 3800 क्यूटल धान की खरीद लैंप्स करता है. पिछले साल कमीशन की राशि का कुछ भूगतान हुआ लेकिन पहले का कमीशन अब तक नही मिला है.
क्या कहते हैं किसान
खूंटी जिला के डांडीगूटू पंचायत के मुखिया फूलचंद टुटी कहते है अब तक पंचायत में धान खरीद केन्द्र स्थापित नहीं किया गया जिसका लाभ व्यापारी उठा रहे हैं. व्यापारियोें के द्वारा धान 10 से 12 रूपया किलो खरीदा जा रहा है. सरकार को किसानों के उपज का अचित मूल्य दिलाने का पहल करना चाहिए.
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कोडरमा के किसान मनोज डांगी कहते हैं सरकारी धान का खरीद सुदूर इलाको में नहीं किया जाता जिसका पूरा फायदा व्यापारी उठा रहे हैं. अगर किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद करने वाले व्यापारियों पर सरकारी शिकंजा नही कसा गया तब तक राज्य के किसान बदहाल ही रहेंगे.
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