Muzaffarpur : बिहार में चमकी बुखार ने फिर से दस्तक दी. एक बार फिर मुजफ्फरपुर जिले में इसका पहला मामला मिला. जिले के पारू प्रखंड में ढाई साल का एक बच्चा चमकी बुखार की चपेट में आ गया है. बच्चे का नाम आकाश कुमार है. उसे तीन दिन पहले एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया था. बच्चे की तबीयत खराब हुई तो उसके घरवालों को चमकी बुखार का शक हुआ. वे फौरन डॉक्टर के पास गए. डॉक्टरों ने जांच कराई. फिर रिपोर्ट में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम- एईएस की पुष्टि हुई. एईएस को ही चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है. इस साल का यह पहला मामला सामने आया है, जबकि अभी गर्मी शुरू भी नहीं हुई है.
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तेज बुखार था बच्चे को
आकाश कुमार को बहुत तेज बुखार था. चमकी बुखार वाले सारे लक्षण उसमें नजर आ रहे थे. उसकी हालत बिगड़ रही थी. तत्काल डॉक्टर से संपर्क किया गया और फिर एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया. जिला मलेरिया अधिकारी को उसकी रिपोर्ट भेजी गई, वहां से एईएस की पुष्टि हुई. वैसे डॉक्टरों ने बच्चे के इलाज में सतर्कता दिखाई है और उसकी हालत में सुधार भी हो रहा है.
2019 में 200 से अधिक बच्चों की हुई थी मौत
साल 2019 में चमकी बुखार ने बिहार में मचाया था कहर. पूरे बिहार में इससे 200 बच्चों की मौत हुई थी. सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 120 से अधिक बच्चों की जान चली गई थी. एसकेएमसीएच अस्पताल में ही अधिकतर बच्चे भर्ती हुए थे. इसके बाद ही चमकी बुखार से पीड़ित रोगियों के लिए यहां 72 करोड़ से अधिक की लागत से 100 बेड का शिशु गहन चिकित्सा यूनिट और 60 बेड का इंसेफ्लाइटिस वार्ड तैयार कर लिया गया है.
चमकी बुखार –एईएस है क्या
एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानि चमकी बुखार के संक्रमण से ग्रस्त रोगी का शरीर अचानक सख्त हो जाता है और मस्तिष्क और शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है, इसी ऐंठन को चमकी कहते हैं. इसलिए इसका नाम चमकी बुखार हो गया है. इंसेफ्लाइटिस मस्तिष्क से जुड़ी एक गंभीर समस्या है. मस्तिष्क की कोशिकाओं में जब सूजन आ जाती है तो चमकी बुखार की स्थिति होती है, जो जानलेवा भी है.
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