Dhaka : बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार और हिंसा के बीच एक और खबर सामने आयी है. बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी कैंप में फायरिंग हुई है, जिसमें सात लोगों की मौत हो गयी है. समाचार एजेंसी एएफपी ने बांग्लादेश पुलिस के हवाले से यह जानकारी दी. बांग्लादेश के प्रमुख अखबार ढाका ट्रिब्यून के अनुसार रिफ्यूजी कैंप में स्थित मदरसे में अज्ञात हमलावरों ने फायरिंग की. फायरिंग में चार लोगों की मौके पर, जबकि तीन लोगों की मौत अस्पताल में इलाज के क्रम में हुई.
सुरक्षा बल के एक अधिकारी के अनुसार अज्ञात लोगों ने सुबह करीब चार बजे उखिया में कैंप नंबर 18 के ब्लॉक एच-52 में मदरसे पर हमला बोल दिया. हालांकि पहले इस हमले को दो विरोधी रोहिंग्या ग्रुप्स में संघर्ष करार दिया गया था.
एक हमलावर बंदूक के साथ गिरफ्तार
उखिया एसपी शिहाब कैसर ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा, हमले के बाद चार लोगों की तुरंत मौत हो गयी. इसके तुरंत बाद मौके पर पुलिस ने पहुंचकर लोगों को अस्पताल तक पहुंचाया. यहां तीन लोगों की इलाज के क्रम में मौत हो गयी. बताया जा रहा है कि पुलिस ने एक हमलावर को बंदूक और गोला बारूद के साथ गिरफ्तार किया है.
कॉक्स बाजार में दुनिया का सबसे बड़ा रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप
बता दें किबांग्लादेश के कॉक्स बाजार में दुनिया का सबसे बड़ा रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप है. यहां करीब 10 लाख रोहिंग्या रहते हैं. ये रोहिंग्या 2017 में म्यांमार से भागकर आये थे. 2017 में बौद्ध बहुसंख्यक देश म्यांमार में वहां की सेना ने रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई की थी. उसके बाद रोहिंग्या मुसलमान वहां से भागे. इनमें से अधिकतर बांग्लादेश के रिफ्यूजी कैंप में रह रहे हैं. पिछले साल 2020 में भी अक्टूबर माह में दक्षिणी बांग्लादेश स्थित रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में आपराधिक हथियारबंद समूहों के बीच हुए गैंग वार हुआ था. इसमें कम से कम आठ लोग मारे गये थे.
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वर्चस्व की लड़ाई के चलते इन गुटों में झड़प हुई थी
2020 में अधिकारियों ने गोलाबारी, आगजनी और अपहरण की घटनाओं के बाद 12 लोगों को गिरफ्तार किया था. बताया गया कि वर्चस्व की लड़ाई के चलते इन गुटों में झड़प हुई थी. जहां यह घटना हुई थी, वो दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है. यहां एक लाख से अधिक लोग रहते हैं. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं में 2018 से लेकर अब तक कम से कम 100 से ज्यादा रोहिंग्या लोग मारे जा चुके हैं.
मानवाधिकार समूहों ने इन घटनाओं के पीछे एक्सट्रा ज्यूडिशियल किलिंग का भी आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस का कहना था कि संदिग्ध ड्रग्स तस्करों से एनकाउंटर के दौरान क्रॉस फायरिंग की चपेट में आने से लोगों की मौत हुई थी.
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