चंद्र बोस की विरासत को लेकर बंगाल में राजनैतिक जंग
बिहार और बंगाल में भी है मछलियों की डिमांड
केज बनाकर उसमें मछली का जीरा छोड़ा जाता है. मत्स्य सहयोग समिति के माध्यम से उसकी देख-रेख की जाती है. इस समिति में स्थानीय लोग शामिल है. विभाग द्वारा समिति को 50 प्रतिशत अनुदान पर मछली का जीरा और आहार उपलब्ध कराया जाता है. सीमावर्ती बिहार और बंगाल में यहां की ताजी मछली की जबरदस्त मांग है. ना केवल दुमका बल्कि बिहार और बंगाल से भी लोग मछली खरीदने यहां आते हैं. समिति के सदस्यों का कहना है कि मत्स्य विभाग के द्वारा अनुदान की राशि बढाई जाये इससे उन्हें काफी मदद मिलेगी. सरकार की तरफ से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को फीड और सीड में सब्सीडी मिलता है.क्या कहते हैं मत्स्य पालक
मत्स्य पालक मनोज कहते हैं कि इस काम से उनको अच्छा फायदा होता है. वे बताते हैं कि वे लोग इस काम से समिति के द्वारा जुड़े हुए हैं. वे केज कल्चर के माध्यम से मछलियों का पालन करते हैं. इन्हें सरकार की तरफ से फीड और सीड दिया जा रहा है. डैम में सरकार की तरफ से IMC वाली मछलियों से समिति के साथ-साथ गांव के बाकी मछुआरों को भी फायदा मिलता है. इसे भी पढ़ें: नेताजी">https://lagatar.in/on-netaji-jayanti-mamta-took-out-an-eight-km-long-march-said-india-should-have-four-capitals/20222/">नेताजीजयंती पर ममता ने आठ किमी लंबी पदयात्रा निकाली, कही बड़ी बात, भारत में चार राजधानियां होनी चाहिए दूसरे मत्स्य पालक कामिल दास बताते हैं कि बहुत से लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं. कुछ लोग मछलियों का पालन करके और कुछ उन्हें बेचकर जिविकोपार्जन करते हैं. उन्होंने बताया कि मछलियों की सेलिंग में कोई दिक्कत नहीं होती है.

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