Lagatar Desk : यूपी सरकार की अनुशंसा पर बीते 23 मार्च को गृह मंत्रालय ने IPS अमिताभ ठाकुर को जबरिया रिटायरमेंट दे दिया. सरकार के इस फैसले की जानकारी अमिताभ ठाकुर को 27 माह पहले ही हो गई थी. 4 दिसंबर 2019 को उन्होंने सरकार को एक पत्र लिखा था. यह पत्र अब सार्वजनिक है. हम उनके पत्र को हू-ब-हू प्रकाशित कर रहे हैं. ताकि पाठकों को यह पता चल सके कि सरकार का सिस्टम किस तरह काम कर रहा है. कैसे एक ईमानदार पुलिस अधिकारी को जबरिया रिटायर किया गया. पढ़ें, पूरा पत्र.
मुझे प्रशासनिक व्यवस्था के अत्यंत विश्वस्त सूत्रों तथा उत्तरदायी अधिकारियों के माध्यम से यह बताया गया है कि मेरे कथित रुप से असुविधाजनक (incovvenient) तथा अप्रिय (uncomfortable) होने, “मुकदमेबाज” (litigacious) होने, कतिपय अत्यंत उच्चपदस्थ राजनैतिक एवं प्रशासनिक पदधारकों के विरुद्ध आपराधिक वाद दायर करने अथवा उनके विरुद्ध प्रशासनिक कार्यवाही करने की मांग करने आदि के दृष्टिगत अत्यंत उच्चस्तरीय दवाब में अनिवार्य सेवा निवृति के प्रावधानों का प्रयोग करते हुए उसके माध्यम से मुझे सेवा से पृथक किये जाने के उच्चस्तरीय मौखिक निर्देश निर्गत किये जा चुके हैं. जिसका शीघ्र क्रियान्वयन किया जायेगा.
अनुरोध करूंगा कि यदि मेरे संबंध में ऐसा वास्तव में किया जाता है, तो यह निश्चित रुप से घोर अन्यायपरक एवं मनमाना (arbitrary) होगा. जिसका उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था में अवांछित कर्मी (deadwood) के विलग करना नहीं अपितु इस प्रावधान का अनुचित प्रयोग करते हुए व्यवस्था में ताकतवर स्थानों पर बैठे तमाम व्यक्तियों के लिए असुविधाजनक (inconvenient) तथा अप्रिय (uncomfortable) व्यक्ति को व्यवस्था से विलग करना होगा. स्पष्ट है कि यह कार्य पूर्णतया अनुचित उद्देश्य (mala fide) से संचालित होगा.
मैं किसी भी प्रकार के अवांछित कर्मी (deadwood) नहीं हूं बल्कि यह संभव है कि मैं व्यवस्था में बैठे कतिपय ताकतवर व्यक्तियों के लिये असुविधाजनक तथा अप्रिय होऊं, जिनके द्वारा अनिवार्य सेवानिवृति के प्रावधानों का मनमाना उपयोग करते हुए मुझे जबरदस्ती अवांछित कर्मी (deadwood) बताते हुए मुझे सेवा से विलग करने का प्रयास किया जाये.
मैं विगत कई वर्षों से यह स्पष्ट रुप से देख रहा हूं कि मेरे सेवा संबंधी तथा व्यक्तिगत प्रकरणों में विभिन्न स्तरों पर किये गए गलत कार्यवाहियों तथा अन्याय का मेरे द्वारा विरोध करने, इन अनुचित तथा विधि विरुद्ध कार्यों के संबंध में विधिक आपत्ति करने तथा विधिसम्मत प्रतिकार करने, इन अनुचित/विधि विरुद्ध कार्यों के संबंध में उत्तरदायित्व निर्धारण करने की बात करने एवं इस पारदर्शिता (transparency) तथा उत्तरदायित्व (accountability) की संकल्पना के क्रम में आरटीआई तथा न्यायिक उपायों का उपयोग करने के कारण में व्यवस्था में ताकतवर स्थानों पर बैठे तमाम व्यक्तियों के लिये असुविधाजनक (inconvenient) तथा अप्रिय (uncomfortable) हो गया हूं. इसका परिणाम यह है कि जहां कई बार बड़े-बड़े अनाचार एवं कदाचार के प्रकरणों में कोई कार्यवाही नहीं होती दिखती है, वहीं मेरे संबंध में ढ़ूंढ़-ढ़ूंढ कर तथा खोज-खोज कर कार्यवाहियां की जा रही हैं. इतना ही नहीं, जहां एक ओर मेरे विरुद्ध कोई कार्यवाही प्रारंभ करने में अतीव तत्परता दिखी है, वहीं उन्हें अंतिम परिणति तक ले जाने में घोर अरुचि दृष्टिगोचर हुई है.
मेरे विरुद्ध जो विभागीय कार्यवाहियां प्रारंभ की गयी हैं, उनमें भी खोज-खोज कर आरोप लगाये गए हैं. इन प्रकरणों में या तो त्रुटिपूर्ण एवं गलत ढ़ंग से आरोप सृजित किये गए या आरोप प्राथमिक स्तर पर ही असत्य हैं या अत्यंत सामान्य सी घटनाओं को अत्यंत तोड़मरोड़ कर उन्हें बेहद विद्रूप स्वरुप देकर गंभीर कदाचार बताते हुए विभागीय कार्यवाही प्रारंभ किये गए हैं.
किसी भी शासकीय कर्मी का व्यवस्था में ताकतवर स्थानों पर बैठे व्यक्तियों के लिये असुविधाजनक (inconvenient) तथा अप्रिय (uncomfortable) होने के कारण उन व्यक्तियों के लिये निजी स्तर पर अवांछित (undersirable) होना तथा उस कर्मी का वास्तविक प्रशासनिक व्यवस्था में अवांछित (deadwood) होना पूर्णतया अलग-अलग बातें हैं. मेरे प्रकरण में इस विभेद को दरकिनार करते हुए ताकतवर व्यक्तियों के लिये अवांछित होने के तथ्य के प्रभाव में ही मेरे विरुद्ध तमाम विभागीय कार्यवाहियां की गयी हैं.
मुझे प्राप्त विश्वसनीय जानकारी के अनुसार, इसी क्रम में ताकतवर पदाधिकारियों के लिये असुविधाजनक तथा अप्रिय हो जाने के तथ्य को प्रशासनिक व्यवस्था में अवांछित (deadwood) होने के रुप में प्रदर्शित/प्ररिवर्तित करते हुए अब मुझे अनिवार्य सेवानिवृति प्रदान किये जाने का विचार किया गया है.
इन समस्त तथ्यों के दृष्टिगत अनुरोध है कि कतिपय तकातवर व्यक्तियों के अवांछित (undiesirable) होने के तथ्य को प्रशासनिक व्यवस्था के लिये अवांछित (deadwood) होने के तथ्य के रुप में परिवर्तित/प्रदर्शित करते हुए मुझे अनिवार्य सेवानिवृति दी जाती है तो यह स्पष्टया अन्यायपरक होगा.