Bengaluru : एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया (Amnesty International India) के पूर्व प्रमुख आकार पटेल बुधवार को अमेरिका नहीं जा पाये. खबर है कि बेंगलुरु एयरपोर्ट पर उन्हें अमेरिका जाने से रोक दिया गया. जानकारी के अनुसार सीबीआई ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है. इस नोटिस के कारण आकार पटेल को देश से बाहर नहीं जाने दिया गया.
आकार पटेल ने ट्विटर पर एक लेख शेयर करते हुए लिखा,मुझे बताया गया है कि उन्होंने लेखक आकार पटेल को नहीं रोका है, जिनके पास कोर्ट का आदेश है और वे यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने एमनेस्टी इंडिया के आकार पटेल को रोका है, जो वास्तव में यात्रा करने के लिए स्वतंत्र नहीं, क्योंकि सीबीआई को उनकी तलाश है.
i am informed they have not stopped aakar patel the writer who has a court order and is free to travel. they have stopped aakar patel the chair of amnesty india who is in fact not free to travel because the cbi is looking out for him. https://t.co/KlZpvUPwPF
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) April 6, 2022
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आकार पटेल ने Price of the Modi Years नामक किताब भी लिखी है
आकार पटेल ने कहा कि सीबीआई अधिकारी ने कहा कि मेरे नाम पर लुकआउट सर्कुलर जारी है क्योंकि मोदी सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ केस दर्ज किया है. जान लें कि आकार पटेल गुजरात दंगों पर राइट्स एंड रॉन्ग्स से एक रिपोर्ट के सह-लेखक हैं. उन्होंने Price of the Modi Years नामक किताब भी लिखी है. इस किताब पर चर्चा के दौरान द वायर के साथ बातचीत करते हुए आकार पटेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को लापरवाह और जल्दबाज करार दिया था.
यह भी जान लें कि आकार पटेल ने 2016 के नोटबंदी के फैसले और कोरोना महामारी के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन का उदाहरण देते हुए दावा किया था कि दोनों ही फैसले कैबिनेट के सहयोगियों से सलाह लिये बिना लिये गये थे.
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एमनेस्टी इंडिया की संस्थाओं को एफडीआई के तौर पर 10 करोड़ रु का भुगतान किया गया
दो-तीन साल पीछे जायें तो केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम और आईपीसी के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए दर्ज शिकायत के बाद सीबीआई ने नवंबर 2019 में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और उसके तीन सहयोगी संस्थाओं के खिलाफ केस दर्ज किया था. इस मामले में एमनेस्टी इंटरनैशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनैशनल ट्रस्ट, एमनेस्टी इंटरनैशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट, एमनेस्टी इंटरनैशनल साउथ एशिया फाउंडेशन (AISAF) के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. आरोप है कि एमनेस्टी इंटरनैशनल यूके ने कथित तौर पर मंत्रालय की मंजूरी के बिना एमनेस्टी इंडिया की संस्थाओं को एफडीआई के तौर पर 10 करोड़ रु का भुगतान किया था.
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