Ranchi: गौशाला न्यास समिति के चेयरमैन और अध्यक्ष का पद बड़ा ही मलाइदार है. इस पद पर जो भी बैठता है. उसके पौबारह हो जाते हैं. घपला-घोटाला फ़ितरत में शामिल हो जाती है. अध्यक्ष शत्रुध्न लाल गुप्ता और रतन जालान इसके सटीक उदाहरण हैं. गुप्ता जी ने गौशाला की सात एकड़ भूमि का घालमेल किया तो रतन जालान ने 15.95 एकड़ गोचर जमीन का बड़ा घपला कर दिया. दैनिक शुभम संदेश ने गौशाला न्यास समिति के कई कारनामो को प्रकाशित कर चुका है, अब प्रस्तुत है पूर्व के अध्यक्ष शत्रुध्न लाल गुप्ता की कारगुजारी की परत-दर परत खोलती यह रपट….
डीएवी नीरजा सहाय स्कूल को मामूली किराये पर दे दी गौशाला की जमीन
गौशाला न्यास समिति के पूर्व अध्यक्ष शत्रुध्न लाल गुप्ता ने भी पद संभालते बड़े-बड़े खेल किये हैं. अपने कार्यकाल में इन्होंने सुकूरहुट्टू गौशाला की सात एकड़ जमीन का सौदा औने-पौने में कर दिया था. जिसपर आज डीएवी नीरजा सहाय स्कूल चलाया जा रहा है. सदस्य बताते हैं कि गुप्ता जी ने स्कूल के लिए जमीन लीज पर दिलवा दी थी. इसके लिए भी सार्वजनिक तौर पर किसी से राजामंदी नहीं ली गयी थी. हिटलरशाही की तरह तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया था. नाम न छापने की सर्त पर एक बुजुर्ग सदस्य बताते हैं कि सुकूरहुट्टू में गौशाला की 30 एकड़ जमीन पहले सीसीएल को लंबे अरसे के लिए लीज पर देने की बात थी. इसके लिए बकायदा एग्रीमेंट भी कर दिया गया था. लेकिन उठे विवाद के कारण सीसीएल से किया गया एकरारनामा रद्द करना पड़ा. बाद में शत्रुध्न लाल गुप्ता ने फिर से दांव खेला और सीसीएल को दी जाने वाली 30 एकड़ में से काट कर सात एकड़ जमीन डीएवी नीरजा सहाय स्कूल के लिए आवंटित करा दिया.
गौशाला की जमीन लीज पर देने से नाराज है मैंबर
गौशाला न्यास समिति के मैंमबर जिस तरह से डीएवी नीरजा सहाय स्कूल के लिए जमीन दी गयी, उससे अबतक नाराज है. समिति के सदस्यों में काफी रोष व्याप्त है. स्कूल को 30 साल के लिए जमीन देने की बात कही गयी थी, लेकिन जमीन को 99 सालों के लिए लीज कर दिया गया . सदस्य का कहना है कि कम किराये पर आखिंर स्कूल को इतने लंबे अरसे के लिए लीज कैसे कर दिया गया.
विरोध में हो चुकी है कई बैठक
डीएवी नीरजा सहाय को लीज पर जमीन दिए जाने के विराध में गौशाला न्यास समिति की कई बैठके हुई है, बावजूद इसके को नतीजा नहीं निकाला जा सका है. सदस्य बताते हैं कि गौशाला न्यास समिति के दो ट्रस्टी डीएवी ग्रुप के भी मेंबर हैं, इसी कारण स्कूल के विरोध में फैसला नहीं किया जाता है. ट्रस्टी और पूर्व अध्यक्ष शत्रुध्न लाल गुप्ता और वर्तमान अध्यक्ष पुनीत पोद्दार के डीएवी ग्रुप मैंनेजिंग कमेटी से भी जुड़े बताये जाते हैं.
राजगढ़िया भी स्कूल मैनेजमेंट कमेटी में हैं शामिल
सुकूरहुट्टू गौशाला की आठ एकड़ जमीन पर बने डीएवी नीरजा सहाय स्कूल की मैनेजमेंट कमेटी में वर्तमान सचिव प्रदीप राजगडि़या भी शामिल हैं. बताया जाता है उपकृत करने के लिए राजगडि़या को स्कूल कमेटी में शामिल किया गया है, तांकि सब का मुह बंद रहे. पूर्व चेयरमैन शत्रुध्न लाल गुप्ता, प्रचार्य किरण यादव, डीएवी गांधीनगर के प्राचार्य और अन्य कमेटी में शामिल हैं.
स्कूल के साथ मुकदमे की बात भी आ रही सामने
गौशाला की जमीन डीएवी ग्रुप को दिए जाने के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा भी दायर किया गया है. कुछ सदस्य बताते हैं कि इस बारे में स्पष्ट जानकारी तो नहीं है, पर कुछ न कुछ मामला चल रहा है. स्कूल सात एकड़ में से पांच एकड़ जमीन का ही उपयोग कर रहा है. ऐसे में दो एकड़ भूमि वापसी की भी मांग उठ रही है, लेकिन बताया जाता है कि इसके लिए स्कूल प्रबंधन तैयार नही है.
सत्य सामने आना चाहिए, गलत हैं तो गौ माता माफ नहीं करेगी : प्रेम अग्रवाल
गौशाला न्यास समिति के उपाध्यक्ष प्रेम अग्रवाल ने कहा कि डीएवी नीरजा सहाय स्कूल पर गौशाला द्वारा मुकदमा किये जाने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि गौशाला के जमीन विवाद को लेकर जो भी सत्य है,वह सामने आनी चाहिए. मिल-बैठक इसकी सत्यता की जांच हो. यदि कोई गलत किया है तो गौ माता उसे माफ नहीं करेगी. उन्होंने बताया कि दो माह पहले ही उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है. जब तक पद रिक्त है, अध्यक्ष और सचिव के जिम्मे गौशाला के दैनिक कार्यों की देख-रेख की जिम्मेवारी है. गौशाला की अचल संपति के सर्वेसर्वा ट्रस्टी होते हैं. जमीन के बाबत मुझे पूरी जानकारी नहीं है. इस संबंध में ट्रस्टी ही कुछ प्रकाश डाला सकते हैं.
गौशाला की हीत को ध्यान में रख स्कूल को दी गयी जमीन : शत्रुध्न लाल गुप्ता
ट्रस्टी और पूर्व अध्यक्ष शत्रुध्न लाल गुप्ता ने बताया कि गौशाला की हीत को ध्यान में रख कर ही सुकूरहुट्टू गौशाला की सात एकड़ जमीन डीएवी नीरजा सहाय स्कूल को दी गयी है. जमीन का बकायदा किराया लिया जाता है. स्कूल पांच प्रतिशत बच्चों को उनकी अनुशंशा पर मुफ्त एडमिशन भी देता है. उन्होंने बताया कि स्कूल को जमीन दिलाने में किसी तरह का गलत फैसला नहीं हुआ है. लायजनिंग के एवज में मोटी रकम की लेन-देन की बात बेमानी है. गलत आरोप लगाया जा रहा है. डीड में सारी बातों का उल्लेख स्पष्ट तौर से किया गया है. उन्होंने बताया कि कब लीज हुआ और कितने किराए में हुआ यह याद नहीं है. शत्रुध्न लाल गुप्ता ने बताया कि लीज पूरे 99 साल के लिए आम सहमति बना कर ही स्कूल को दी गयी है. बैठक की मिनटस में सारी बाते शामिल है.
याद न रहने की बात समझ से परे
ट्रस्टी और पूर्व अध्यक्ष शत्रुध्न लाल गुप्ता का स्कूल को जमीन दिलाने मामले में यह कहना कि याद नहीं है. समझ से पर है. डीएवी मैनेजमेंट समिति के निदेशक मंडल के सदस्य रहते हुए उन्होंने स्कूल खुलवाने से लेकर अन्य सभी तरह का काम किया, लेकिन अब वह यह कह रहे हैं कि याद नहीं किसी के मथे नहीं पड़ता. धत्रुध्न जी का यह भी कहना कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है, बेमानी लगती है. बैगर किसी तरह के हित साधे कोई भी कोई काम नहीं करता, तो पूर्व अध्यक्ष साहब ने यह धर्मसेवा क्यों और किसके हित में की है यह विरानीय प्रश्न है.