Bengaluru : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने किसान आंदोलन को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. बुधवार को सिद्धरमैया ने किसानों के आंदोलन को लेकर केंद्र के रवैये पर तंज कसा कि 56 इंच के सीने की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों के आंसू पोछने वाला दिल नहीं रखते.
सिद्धारमैया ने सवाल दागा कि दिल्ली में 26 जनवरी के दिन किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में केंद्र सरकार का खुफिया विभाग क्या कर रहा था? कहा कि क्या प्रदर्शन में आतंकवादी शामिल थे, इसे सार्वजनिक किया जाये. उन्होंने कहा, ‘यह सरकार की विफलता है. किसान दो महीने से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे थे, वे अब तक 11 दौर की बातचीत कर चुके हैं. क्या मुद्दे के समाधान के लिए 11 दौर की जरूरत होती है?
इसे भी पढ़ें : गणतंत्र दिवस पर हिंसा को लेकर कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग की
काला कानून वापस ले सरकार सिद्धारमैया
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘किसानों का कहना है कि कानून किसान विरोधी हैं, कृषि क्षेत्र के खिलाफ काले कानून कों वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान 60 दिनों से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और उनमें से कुछ ने अपनी जान भी गंवाई है.
सिद्धरमैया ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी 56 इंच के सीने की बात करते हैं, सीना कितना बड़ा है यह महत्वपूर्ण नहीं है, उसमें एक दिल होना चाहिए जो गरीबों के आंसू पोंछ सके. मोदी के पास वह नहीं है।.
उन्होंने सवाल किया कि क्या उन्होंने एक बार भी अब तक किसानों को बुलाया और उनसे बात की? उन्होंने दावा किया कि मोदी ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया और कानून निरस्त नहीं करना चाहते. सरकार अंबानी और अडाणी जैसे बड़े कॉरपोरेट घरानों की गुलाम बन गयी है और जैसा उन्होंने फरमान सुनाया वैसा ही कानून बनाया गया.
इसे भी पढ़ें : राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन का आंदोलन खत्म, वीएम सिंह ने कहा, ऐसे नहीं चलेगा आंदोलन, हम लोगों को पिटवाने नहीं आये हैं
आंदोलन में कौन से आतंकवादी हैं
प्रदेश के कृषि मंत्री बीसी पाटिल के किसानों के प्रदर्शन को आतंकवादियों द्वारा लड़ाई बताये जाने संबंधी कथित बयान को सिद्धरमैया ने गैर जिम्मेदाराना करार दिया. उन्होंने कहा, ‘क्या सरकार के पास खुफिया तंत्र नहीं है. उन्हें बताने दीजिए कौन से आतंकवादी शामिल हैं, किसानों के बारे में बोलते हुए किसी को भी गैरजिम्मेदाराना बात नहीं कहनी चाहिए. उन्हें बताने दीजिए कि कौन से आतंकवादी हैं या फिर खालिस्तान आंदोलन से जुड़े लोग इससे संबंधित हैं.
इसे भी पढ़ें : वेब सीरीज तांडव केस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम जमानत देने से इनकार, कहा, हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते