- जीतेजी पुलिस फाइल में मृत घोषित किए गए झारखंड सरकार के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव
- हजारीबाग पुलिस की अजीब दास्तां, हत्या की साजिश की जगह कोर्ट में चल रहा हत्या का मामला
- दो लोगों की गवाही में खुली पुलिसिया गलती की पोल
Gaurav Prakash
Hazaribagh : राजनीति अखाड़े में अपनी दबंग छवि रखने वाले योगेंद्र साव जीतेजी पुलिस फाइल में मृत घोषित कर दिये गए हैं. पूरा माजरा बड़कागांव थाने से जुड़ा हुआ है. दरअसल, बड़कागांव के तत्कालीन थाना प्रभारी पुलिस अवर निरीक्षक केशव कुमार ने कोर्ट में चार्जशीट दायर किया है. चार्जशीट में धारा 120 बी और 302 के तहत न्यायालय में मामला भी चल रहा है. पुलिस ने जिसे हत्या की साजिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया, उसके ऊपर हत्या का मामला थाने में दर्ज कर दिया. शुक्रवार को दो लोगों बबुआ और भोला यादव की गवाही भी इस मामले में हुई है. तब जाकर मामला प्रकाश में आया है.
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यह मामला 2008 का है. बड़कागांव पुलिस ने 20 फरवरी 2008 को केदार महतो, जुबेर खान, भोला यादव, मनोज गोप और विजय यादव पर प्राथमिकी दर्ज की थी. विजय यादव के बयान से यह बात स्पष्ट हुआ कि झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र की हत्या करने की साजिश बनाई जा रही थी. इसमें उन लोगों की संलिप्तता थी. पुलिस ने प्राथमिकी में बताया कि 25 फरवरी 2008 को गुप्त सूचना मिली थी की विजय यादव अपने साथी के साथ मिलकर बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में विश्रामपुर जंगल में सभी जमा हुए हैं. सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने छापेमारी की और विजय यादव को हिरासत में लिया. वहीं अन्य आरोपी फरार हो गए. जब पुलिस ने गिरफ्त में आरोपी विजय यादव से पूछताछ की, तो पता चला कि झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की हत्या की साजिश रचने की योजना बनाने के लिए सभी इकट्ठा हुए हैं. विजय यादव के पास से बंदूक, जिंदा कारतूस, मोबाइल और दो सिम भी बरामद किया. जब उससे कड़ाई से पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि केदार महतो सड़क निर्माण कर रहा था. उसी दौरान माओवादी बबुआ सिंह से उसकी मुलाकात हुई. उसने योगेंद्र साव की हत्या करने को कहा. बबुआ सिंह बताया कि वह उग्रवादी संगठन जेपीसी का आदमी है. एमसीसी की लेवी का काफी पैसा पचा लिया है और कई लोगों को जेल भिजवा दिया. ऐसे में जल्द से जल्द इसकी हत्या की जाए.
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इस पर केदार महतो अपने साथी जुबेर खान को योगेंद्र साव की हत्या करने की योजना बनाने को कहा. इसी क्रम में विजय यादव को जंगल में बुलाकर दो लाख नकद और 40 हजार रुपये का हथियार खरीदने के लिए बोला गया.
प्राथमिकी में बताया गया कि विजय यादव, अशोक गोप, जुबेर खान और भोला गोप ने हजारीबाग से मोटरसाइकिल से 20 फरवरी 2008 को योगेंद्र साव की हत्या करने के लिए बड़कागांव जाने के क्रम में उनका पीछा किया. लेकिन मोटरसाइकिल खराब होने के कारण घटना को अंजाम नहीं दे पाया. उन लोगों की योजना थी कि घाटी में रोककर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी जाए. प्राथमिकी में बताया गया है कि यह बयान विजय यादव ने स्वयं दिया. लेकिन विजय यादव की गिरफ्तारी होने से योगेंद्र की हत्या नहीं हो सकी.
योगेंद्र साव की हत्या का मामला दर्ज कर पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट भी कर दी दायर
पुलिस ने इस पूरे मामले में आरोपियों पर योगेंद्र साव की हत्या का मामला दर्ज कर दिया और चार्जशीट भी कोर्ट में दायर कर दी. धारा 302 के तहत कार्रवाई करने की बात कही गई. ऐसे में यह हास्यास्पद हो गया कि जिसकी हत्या भी नहीं हुई है और आरोपियों पर धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया. हालांकि इस मामले को लेकर बचाव पक्ष के अधिवक्ता 302 धारा को क्वाइस करने के लिए हाईकोर्ट भी गए. अब धारा 307 का यह मामला चलेगा.
क्या कहते हैं कानून के जानकार
कानून के जानकार बताते हैं हत्या के आरोपी व्यक्तियों पर धारा 302 के तहत कोर्ट में मुकदमा चलाया जाता है. इसके अलावा हत्या के मामले में आरोपी को दोषी पाए जाने पर धारा 302 के तहत सजा दी जाती है. धारा 302 के अनुसार आरोपी को या तो आजीवन कारावास या मृत्युदंड (हत्या की गंभीरता के आधार पर) के साथ- साथ जुर्माने की सजा दी जाती है.
पुलिस पकड़े गए बदमाशों पर आर्म्स एक्ट की धारा (25 और 27) लगाती है. इसमें अधिकतम सात साल की सजा होती है, जबकि इसी एक्ट की धारा (25-1 कक) में आजीवन कारावास का प्रावधान है. धारा 120 बी आइपीसी आपराधिक साजिश के अपराध को आकर्षित करने के लिए समझौते का भौतिक रूप से प्रकट होना आवश्यक है.