Kiriburu : पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित डीएमएफटी फंड में निविदा, प्राक्लन, योजना चयन आदि में जारी भारी घोटाले की जांच हेतु पीएमओ कार्यालय को पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने पत्र लिखा है. उन्होंने लगातार न्यूज को बताया की डीएमएफटी में अनिमियता व घोटाला इतना बड़ा है कि उसे बयान करने व लिखने के लिए शब्द नहीं हैं. डीएमएफटी एक गैर लाभकारी स्वायत्त ट्रस्ट है जो खनन संबंधी संचालन में प्रभावित प्रत्येक जिले के समुदायों के हितों की रक्षा करता है और उस क्षेत्र में निवासरत लोगों को लाभ पहुंचाने का काम करता है. डीएमएफटी को भारत के केन्द्रीय खनन कानून खान और खनिज ( विकास और विनियमन ) अधिनियम ( एमडीआर ) 1957 जिसमें वर्ष 2015 में संबोधन किया गया था के तहत मान्यता प्राप्त है. एमडीआर अधिनियम की धारा 98 के तहत अंतर्गत डीएमएस की विशिष्टताओं का उल्लेख है. पश्चिमी सिंहभूम जिला में सारंडा का वन है और उस क्षेत्र में निवास करने वालों की स्थिति काफी दयनीय है यहां के लोग पूरी तरह खनन से प्रभावित हैं. यहां के लोग स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, पेयजल, रोजगार एवं आजीविका की समस्याओं से जूझ रहे हैं. नोवामुंडी एवं मनोहरपुर प्रखंड के गांवों में पीएचसी की कमी है. अपर्याप्त डॉक्टर और स्वास्थ कर्मचारी अर्थात मात्र 5% स्वास्थ कर्मी हैं. बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. गांवों में आंगनबाड़ी की कमी है. बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र जाने के लिए भी काफी दूर जाना पड़ता है. दोनों प्रखंड में आंगनबाड़ी भवन की कमी है.
बिजली और पेयजल की भी सुविधा नहीं है
उन्होंने कहा कि बिजली और पेयजल की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है. पेयजल स्वच्छता अभियान के तहत निर्मित सभी योजनाएं लूट का शिकार हो चुकी हैं. आवागमन के रास्ते नहीं हैं. उदाहरण स्वरुप खनन प्रभावित गांव तितलीघाट बहदा, काशियापेचा आदि गांव हैं, जहां डीएमएफटी का व्यापक फंड होने के बाद भी लोग आखेट युग में जी रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिला में डीएमएफटी की लूट प्रायोजित तरीके से की जा रही है. पदाधिकारी ग्रामसभा को कोई जानकारी नहीं देकर गांव में फर्जी ग्रामसभा करते हैं और ग्रामसभा की पंजी में लूट की योजनाएं दर्ज की जाती हैं, ताकि इस योजना के तहत कार्यावन्यन के लिए ग्रामसभा को जिम्मेदार ठहराया जा सके. डीएमएफटी का गठन सिर्फ लूट के लिए ही किया गया है.
90 फीसदी शौचालय बिना उपयोग के बेकार पड़े हैं
जिला के शौचालय निर्माण में भी व्यापक रूप से घोटाला किया गया है. इस कारण 90% शौचालय बिना उपयोग के बेकार पड़े हैं. डीएमएफटी की योजनाओं में व्यापक रूप से प्राक्कलन घोटाला किया जा रहा है. योजनाओं में अत्यधिक राशि दर्शाकर लूट की जा रही है. अभी जिला में डीएमएफटी मद से सिर्फ सड़क, पुल, पुलिया और पेयजल संबंधित योजनाओं की निविदा निकाली गई है. इन निविदा में 50 लाख से नीचे की योजनाओं को ऑफलाइन निविदा के माध्यम से कराकर चहेते संवेदकों से भारी कमीशन लेकर निविदा में भाग लेने दिया जाता है. इसके लिए जिला के अन्य संवेदकों की बैठक बुलाकर उन पर दबाव और भय का वातावरण बनाया और इसकी बाहर चर्चा न करने की हिदायत दी गई. अन्यथा अंजाम भुगतने की धमकी दी गई. इस तरह से अपने चहेते संवेदकों को ऑफलाइन निविदा कर प्रकिया पूरी की जा रही है.
रसीद ऑनलाइन काटी तो निविदा ऑफलाइन क्यों
उन्होंने कहा कि जब जिला में ऑनलाइन से हर रशीद काटी जा रही है तो डीएमएफटी के 50 लाख के नीचे की योजनाओं को ऑफलाइन के माध्यम से निविदा क्यों की गई. सभी निकाय एवं प्रबंध समिति द्वारा ऐसा निर्णय क्यों लिया गया. पदाधिकारियों की मदद से इस राशि की लूट को अंजाम दिया जा रहा है, जिसकी जांच की जानी चाहिए. उन्होंने पीएमओ कार्यालय से आग्रह किया है कि डीएमएफटी योजनाओं की प्राक्कलित राशि की जांच करते हुए ऑफलाइन से की गई निविदा को यथाशीघ रद्द की जाए और निविदाओं के निष्पादन में निष्पक्ष एवं पारदर्शिता के साथ ऑफलाइन से कराई जाए. साथ ही संबंधित विभाग के अलावे परिमाण विपत्र जिला एवं राज्य नियंत्रण कक्ष में भी जमा करने का प्रावधान किया जाए ताकि योजनाओं में की जा रही लूट को रोका जा सके.