NewDelhi : फ्रीडम एट मिडनाइट, सिटी ऑफ जॉय आदि प्रसिद्ध पुस्तकें लिखनेवाले फ्रांसीसी लेखक डॉमिनिक लेपियर का 4 दिसमबर को निधन हो गया. लेपियर की पत्नी डॉमिनिक कोशों-लेपियर ने फ्रांसीसी अखबार Var-matin से इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि उनके निधन की वजह उम्र से संबंधित बीमारियां रहीं. 30 जुलाई, 1931 को फ्रांस के शतलयुं (Chatelaillon) में जन्मे लेपियर ने अपने करिअर की शुरुआत परी-मैच (Paris-Match) के रिपोर्टर के रूप में की थी.
अमेरिकी पत्रकार लैरी कॉलिन्स के साथ मिलकर में छह किताबें लिखी
जान लें कि उन्होंने अमेरिकी पत्रकार लैरी कॉलिन्स के साथ मिलकर में छह किताबें लिखी हैं. उन छह में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पेरिस की आजादी पर आधारित विख्यात इज़ पेरिस बर्निंग भी शामिल है. इसके अलावा लेपियर ने कॉलिन्स के साथ 1972 में ओ जेरूसलम!, 1975 में फ्रीडम एट मिडनाइट, 1980 में द फिफ्थ हॉर्समैन और 2005 में इज़ न्यूयॉर्क बर्निंग’ लिखी थीं. उनकी बियॉन्ड लव (1990) और ए थाउजेंड सन्स (1999) भी अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर रही हैं.
17 साल की उम्र में उन्होंने 30 अमेरिकी डॉलर के साथ पेरिस छोड़ा
स्पीकर बुकिंग एजेंसी के अनुसार, लैपियर को पहली प्रसिद्धि तब मिली जब 17 साल की उम्र में उन्होंने 30 अमेरिकी डॉलर के साथ पेरिस छोड़ा और एक जहाज पर काम किया. उन्होंने उत्तरी अमेरिका के चारों ओर 30,000 मील की यात्रा की. इस यात्रा पर उन्होंने ‘ए डॉलर फॉर ए थाउजेंड माइल्स’ किताब लिखी जो काफी चर्चित हुई. वह नयी कहानियों और संदेशों के लिए लगातार दुनिया घूमते रहे, लैपियर, वर्ष 1954 में सैन्य सेवा पूरी करने के बाद लैरी कॉलिंस नामक अमेरिकी सैनिक से मिले. यह दोस्ती आगे चलकर काफी प्रगाढ़ हुई और दोनों ने कई किताबें लिखी.
कोलकाता के रिक्शा चालकों पर आधारित द सिटी ऑफ जॉय 1985 में प्रकाशित हुई
डॉमिनिक लेपियर की कोलकाता के रिक्शा चालकों पर आधारित द सिटी ऑफ जॉय 1985 में प्रकाशित हुई थी. सिटी ऑफ जॉय पर भी एक फिल्म बनी थी. 1992 में रोलैंड जोफ द्वारा निर्देशित इस फिल्म में पैट्रिक स्वेज़, ओम पुरी, शबाना आज़मी और पॉलीन कॉलिन्स ने अभिनय किया था. 1981 में लेपियर ने कोलकाता में एक एनजीओ सिटी ऑफ जॉय एड की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य क्लीनिकों, स्कूलों, पुनर्वास केंद्रों और हॉस्पिटल बोट का नेटवर्क चलाना है.
उनके उपन्यास और अन्य पुस्तकों से मिलने रॉयल्टी, लेक्चरों की फीस और पाठकों से मिलने वाले दान से यह संस्था काम करती है. लैरी कॉलिन्स के साथ लिखी गई किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ भी भारत के बारे में थी, जिसमें देश के स्वाधीनता संग्राम, विभाजन और ब्रिटिश शासन के आखिरी दौर को दर्ज किया गया था. 2008 में लेपियर को भारत में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
wpse_comments_template]