Ranchi : राज्य की शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हर जिले में कम से कम एक मॉडल स्कूल लाने की बात कहीं थी. इस दिशा में सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में ही काम शुरू कर दिया था. सीबीएसई के पाठ्यक्रम के मुताबिक, इन मॉडल स्कूलों में 12वीं तक की पढ़ाई की योजना है. इन स्कूलों में आगामी वित्तीय वर्ष से बच्चों को शिक्षा देने का काम शुरू हो जाएगा. बता दें कि अभी करीब 80 जगहों पर मॉडल स्कूल बनाने का काम जारी है. आगामी वर्षों में 400 अन्य मॉडल स्कूलों का निर्माण शुरू होगा.
ड्रॉप आउट कम करने की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा मॉडल स्कूल
मॉडल स्कूल का निर्माण तीन चरणों में किया जाना है. पहले चरण में 80 मॉडल स्कूल में पढ़ाई कराया जाएगा. दूसरे चरण में 500 स्कूलों एवं तीसरे चरण में सभी पंचायतों में मॉडल स्कूल बनाया जाएगा. मॉडल स्कूल के मामले की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री खुद कर रहें हैं, ताकि झारखंड के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके. इस योजना के आने से झारखंड के स्कूलों में ड्रॉप आउट की समस्या से काफी हद तक निजात मिल पाएगी. इन स्कूलों में बच्चों का चयन उनकी योग्यता के अनुरूप टेस्ट लेकर किया जाएगा.
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जानें, मॉडल स्कूलों में किस तरह की शिक्षा पर रहेगा जोर
मॉडल स्कूल में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं में पाठ्य पुस्तक पढ़ सकने की क्षमता बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा. पठन सामग्री के रूप में पाठ्य पुस्तकें, कहानियां, आलेख एवं शब्दों को पढ़ने का अभ्यास कराया जायेगा. साथ ही बच्चों को अंग्रेजी बोलने की क्षमता विकसित करने पर जोर दिया जाएगा. इसके लिए शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं और एनसीइआरटी व एनइआइपी का सहयोग प्राप्त किया जायेगा. स्कूलों में लैंग्वेज लैब की स्थापना के साथ स्पोकेन इंग्लिश कोर्स का संचालन विद्यालयों में होगा. इसके अलावा स्कूलों में कंप्यूटर लैब, प्रोजेक्टर, लाइव क्लासेस जैसी स्मार्ट सुविधा दी जाएगी.